-इस सरकारी बैंक के विनिवेश की प्रक्रिया अब तेज हो गई
-बैंक के निजीकरण के अगले चरण का मार्ग प्रशस्त
मुंबई। आईडीबीआई बैंक के विनिवेश की प्रक्रिया अब तेज हो गई है। सरकार ने अपने डेटा रूम से संबंधित सभी मुद्दों को सुलझा लिया है। इससे इस बैंक के निजीकरण के अगले चरण का मार्ग प्रशस्त हो गया है। सरकार को उम्मीद है कि यह प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है और जल्द ही वित्तीय बोलियां आमंत्रित की जाएंगी।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि आईडीबीआई बैंक के निजीकरण की प्रक्रिया सुचारू रूप से आगे बढ़ रही है। डेटा रूम से संबंधित सभी मुद्दे सुलझा लिये गये हैं। वित्तीय बोलियां शीघ्र ही आमंत्रित की जाएंगी। डेटा रूम वह स्थान है जहां किसी कंपनी की समस्त वित्तीय जानकारी संग्रहित की जाती है। संभावित खरीदार इस जानकारी को देखते हैं, कंपनी का मूल्यांकन करते हैं, और अपनी बोलियां लगाते हैं। अधिकारियों ने बताया कि डेटा रूम संबंधी मुद्दों को सुलझाने के लिए समझौता अंतिम चरण में है।
किसका कितना हिस्सा?
अधिकारी ने यह भी कहा कि संभावित बोलीदाताओं ने डेटा रूम के बारे में कुछ प्रश्न उठाए थे, जिन्हें अब सुलझा लिया गया है, तथा कोई बड़ी समस्या उत्पन्न नहीं हुई है। आईडीबीआई बैंक के निजीकरण की प्रक्रिया जनवरी 2023 से चल रही है। इसके बाद केन्द्र सरकार ने अभिरुचि पत्र जारी किया। सरकार और एलआईसी मिलकर बैंक में अपनी 61 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचना चाहते हैं। इसमें केंद्र की हिस्सेदारी 30.48 प्रतिशत तथा एलआईसी की हिस्सेदारी 30.24 प्रतिशत है।
एयर इंडिया की बिक्री के बाद यह सबसे बड़ी निजीकरण पहल होगी। हालाँकि, यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार को इस बिक्री से कितनी धनराशि प्राप्त होगी। पिछले वर्ष हुए आम चुनावों के बाद सरकार ने विनिवेश लक्ष्य निर्धारित करना बंद कर दिया। अब सरकार गैर-कर राजस्व संग्रह बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। वित्त वर्ष 2025 में सरकार को दीपम से कुल 68,263 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जिसमें से 8,625 करोड़ रुपये विनिवेश से आए। वित्त वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट में विनिवेश और परिसंपत्ति मुद्रीकरण के जरिए 47,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है।