फाइलेरिया उन्मूलन : शत- प्रतिशत लाभार्थियों को फाइलेरिया रोधी दवाएं खिलाना सुनिश्चित करें: आयुक्त
17 जिलों के 61 विकासखंडों में खिलाई जायेंगी फाइलेरिया की दवाएं
रायपुर। राज्य में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए लगातार सामूहिक दवा सेवन अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में 27 फरवरी से 13 मार्च, 2025 तक राज्य के 17 जिलों के 61 विकासखंडों में सामूहिक दवा सेवन अभियान (मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन- एमडीए) एवं राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस कार्यक्रम चलाया जायेगा। इनमें से 14 जिलों (रायपुर, गरियाबंद, बलोदाबाजार, महासमुंद, बालोद, बिलासपुर, मुंगेली, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही, सक्ति, जांजगीर- चांपा, सारंगढ़- बिलाईगढ़, सरगुजा, सूरजपुर और जशपुर) में 3 दवाओं डी.ई.सी., अल्बेंडाजोल और आइवरमेक्टिन के साथ एवं 03 जिलों राजनांदगांव, खैरागढ़- छुईखदान-गण्डई और बस्तर जिलों में 2 दवाओं डी.ई.सी. और अल्बेंडाजोल के साथ यह अभियान शुरू किया जायेगा।
आयुक्त, स्वास्थ्य सेवाएं, संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं, छतीसगढ़ ने बताया कि सामूहिक दवा सेवन अभियान में जिले के सभी वर्गों के लगभग 14583936 लाभार्थियों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए डी.ई.सी., अल्बेंडाजोल और आइवरमेक्टिन की निर्धारित खुराक को 53015 ड्रग एडमिनिस्ट्रेटरों के द्वारा 30406 बूथ एवं घर- घर जाकर, अपने सामने मुफ्त खिलाई जाएगी, साथ ही अभियान की निगरानी हेतु 5190 पर्यवेक्षकों को भी लगाया गया है। आयुक्त, स्वास्थ्य सेवाएं ने बताया कि फाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रमाणित है। यह दवा शरीर में पनप रहे फाइलेरिया संक्रमण को समाप्त करने के लिए दी जाती है। उन्होंने कहा कि 2 साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रूप से बीमार लोगों को छोड़कर, सभी को फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन ड्रग एडमिनिस्ट्रेटरों के समक्ष ही किये जाने का लक्ष्य है।
मेडिकल कॉलेज, जिला चिकित्सालय, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बूथ लगाकर दवा सेवन कराए
राज्य कार्यक्रम अधिकारी, एन. व्ही. बी. डी. सी. पी ने बताया कि जिन व्यक्तियों के शरीर में पहले से फाइलेरिया परजीवी मौजूद होते हैं, उनमें कभी-कभी दवा लेने के बाद कुछ प्रतिक्रियाएँ देखी जा सकती हैं, जैसे हल्का सिरदर्द, मतली, थकान, खुजली, चकत्ते या शरीर में मामूली असहजता। यह कोई दुष्प्रभाव नहीं, बल्कि एक शुभ संकेत है कि दवा प्रभावी रूप से परजीवी को नष्ट कर रही है। ये लक्षण आमतौर पर क्षणिक होते हैं और कुछ समय बाद स्वत: समाप्त हो जाते हैं या एंटी एलर्जिक गोली लेने के बाद समाप्त हो जाती है। इसके अलावा, स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी 61 विकासखंडों में किसी भी विषम परिस्थितियों से निपटने के लिए 78 रेपिड रिस्पॉन्स टीम तैनात की गई हैं तथा निकटतम आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर तैनात सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) को इसके लिए प्रशिक्षित किया गया है।
उन्होंने बताया कि अभियान के सफल किर्यान्वयन हेतु जिलों में सभी तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं। जिलों में माइक्रोप्लान के अनुसार लक्षित लाभार्थियों के लिए समुचित फाइलेरिया रोधी दवाएं उपलब्ध हैं। जिलों में स्वास्थ्य कर्मियों एवं ड्रग एडमिनिस्ट्रेटरों का भी प्रशिक्षण किया जा चुका है, जिसमें निर्देश दिए गए हैं कि फाइलेरिया जैसी गंभीर बीमारी के प्रति लोगों को प्रत्येक स्तर पर जागरूक करें ताकि सामूहिक दवा सेवन अभियान के दौरान लोग इनसे सुरक्षित रखने वाली दवाओं का सेवन ड्रग एडमिनिस्ट्रेटरों के सामने अवश्य करें।
दवा सेवन गतिविधि को जन-जन तक पहंचाने हेतु सभी विकासखंडों में क्लस्टर स्तर के फेडरेशन का सदस्यों को भी पहली बार शामिल किया गया है एवं अन्य विभागों से भी सहयोग लिया गया है।
फाइलेरिया रोग संक्रमित क्युलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है जो दुनिया भर में दीर्घकालिक दिव्यांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। किसी भी आयु वर्ग में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बहिष्कार का बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है।