नई दिल्ली। कम वेतन वृद्धि दर: पिछले कुछ वर्षों में पर्सनल लोन लेने वालों की संख्या में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। नौकरी से होने वाली आय से जरूरतें पूरी नहीं होने पर कर्मचारियों से कर्ज लेने की नौबत आ गई है। एक तरफ कंपनियां भारी मुनाफा कमा कर मोटी हो रही हैं। दूसरी ओर, वेतन वृद्धि तुलनात्मक रूप से कम है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति उत्पन्न हो गयी है। अब सरकार निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की वेतन वृद्धि की धीमी गति से चिंतित है। कम वेतन का असर अब देश के विकास पर पड़ रहा है। हाल ही में देश में आर्थिक विकास के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं।
केंद्र सरकार निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की कम सैलरी को लेकर ज्यादा चिंतित है। क्योंकि वेतन वृद्धि का ग्राफ सपाट है जबकि निजी कंपनियों का मुनाफा बढ़ रहा है। धीमी वेतन वृद्धि ने उपभोग और मांग को प्रभावित किया है। इससे शहरी खपत लगातार कम हो रही है।
मुनाफा 400त्न बढ़ा, वेतन वृद्धि 4त्न नहीं
जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी सिर्फ 5।4 फीसदी बढ़ी, वहीं प्राइवेट कर्मचारियों की कम सैलरी से भी सरकार तनाव में है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि 2019 से 2023 की अवधि के दौरान कॉर्पोरेट कंपनियों का मुनाफा 4 गुना यानी 400 प्रतिशत तक बढ़ गया है, जबकि इसी अवधि में निजी कर्मचारियों का वेतन 4 प्रतिशत भी नहीं बढ़ा है। यह चौंकाने वाला खुलासा भारत सरकार की ओर से फिक्की और क्वैश कॉर्प लिमिटेड द्वारा तैयार किए गए डेटा से सामने आया है।
यह रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, इंजीनियरिंग, मैन्युफैक्चरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में सैलरी सिर्फ 0।8 फीसदी बढ़ी। एफएमसीजी कंपनियों में भी सैलरी सिर्फ 5।4 फीसदी बढ़ी है। निजी कंपनियों के कर्मचारियों की दुर्दशा का एक और कारण यह है कि उनका वेतन बढऩे के बजाय गिर रहा है, जिसमें मुद्रास्फीति भी शामिल है। क्योंकि ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि इन कर्मचारियों की क्रय शक्ति काफी हद तक कम हो जाएगी।
उद्योग जगत से सरकार की अपील
निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की कम सैलरी के कारण देश की अर्थव्यवस्था में आई मंदी पर सरकार ने संज्ञान लिया है। भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने उद्योगों से इस मुद्दे पर ध्यान देने का आग्रह किया है।
यह भविष्य में कॉरपोरेट सेक्टर के लिए खतरा है: नागेश्वरन
दो कॉरपोरेट कॉन्फ्रेंस में नागेश्वरन ने कहा कि अगर कर्मचारियों की सैलरी नहीं बढ़ाई गई तो देश को काफी नुकसान हो सकता है। इसका खामियाजा अंतत: कॉरपोरेट सेक्टर को भी भुगतना पड़ेगा। यदि निजी कर्मचारियों के वेतन में सुधार नहीं किया गया तो उनकी क्रय शक्ति कम हो जायेगी और बाजार पर भारी असर पड़ेगा। उद्योग के उत्पादों की बाजार में मांग नहीं रहेगी। यह कॉरपोरेट के लिए आत्मघाती कदम होगा।