देश में आज से 3 नए आपराधिक कानून लागू



-हत्या के लिए अनुच्छेद 302 को बदलने के लिए 103, 

नए कानून न्यायिक प्रणाली में बदलाव के साथ-साथ तकनीकी प्रगति भी 


नई दिल्ली। देशभर में आज से नए आपराधिक कानून लागू हो गए है। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में 511 धाराएं थीं। हालाँकि भारतीय दंड संहिता में 358 अनुच्छेद हैं। आपराधिक संहिता में बदलाव के साथ-साथ इसकी धाराओं के क्रम में भी बदलाव किया गया है।


देश में अंग्रेजों के समय से चले आ रहे तीन आपराधिक कानून 1 जुलाई से बदल दिए गए है। दिसंबर 2023 में संसद द्वारा पारित कानून अब पूरे देश में लागू होंगे। तीन नए कानूनों को भारतीय न्यायिक संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम कहा जाएगा। ये कानून अब भारतीय दंड संहिता (1860), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (1898) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) की जगह लेंगे।



नए कानूनों से न्यायिक प्रणाली में बदलाव के साथ-साथ तकनीकी प्रगति भी हो रही है। अदालती कार्यवाही में देरी को कम करने के लिए ऑनलाइन फाइलिंग, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गवाहों की सुनवाई पर जोर दिया जाएगा। कश्मीर से कन्याकुमारी तक और द्वारका से असम तक पूरे देश में एक ही न्याय व्यवस्था लागू होगी।


न्याय की प्रक्रिया तेज होगी


किसी न्यायाधीश या लोक सेवक के खिलाफ  मामला दर्ज करने के लिए 120 दिनों के भीतर राज्य सरकार को सूचित करना होता है। संप्रेषित न किए जाने पर सरकार की सहमति मानी जाएगी। टाइम बांड को 35 खंडों में तैयार किया गया है। दुष्कर्म और प्रताडऩा के मामले में मेडिकल रिपोर्ट सात दिन के अंदर जांच अधिकारी को भेजनी होगी। 90 दिन के अंदर पीडि़त को जांच की प्रगति की जानकारी देनी होगी। आम आदमी को अगर किसी अपराध में कोई आरोपी मिलता है तो उसे पकड़े जाने पर छह घंटे के अंदर नजदीकी थाने में पेश करना अनिवार्य है। आत्महत्या में प्रथम दृष्टया कारण रिपोर्ट 24 घंटे के अंदर भेजना अनिवार्य।



नागरिक सुरक्षा कानूनों में महत्वपूर्ण बदलाव क्या हैं?


-धारा 124 आईपीसी की धारा 124 में राजद्रोह से संबंधित मामलों में सजा का प्रावधान है। नए कानून के तहत अब देशद्रोह को देशद्रोह कहा जाएगा। ब्रिटिश शब्द हटा दिया गया है।


-धारा 144 आईपीसी की धारा 144 घातक हथियार रखने और गैरकानूनी सभा में भाग लेने से संबंधित है। अब भारतीय दंड संहिता की अनुसूची 11 में इसे सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में रखा गया है। अब भारतीय दंड संहिता की धारा 187 गैरकानूनी जमावड़े से संबंधित है।


-धारा 302 पहले हत्या के मामले में आरोपियों पर धारा 302 के तहत आरोप लगाए जाते थे। हालांकि अब ऐसे अपराधों के लिए धारा 103 के तहत सजा दी जाएगी।

-धारा 307 हत्या का प्रयास पहले आईपीसी की धारा 307 के तहत दंडनीय था। अब ऐसे दोषियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 109 के तहत सजा सुनाई जाएगी। यह खंड परिशिष्ट 6 में रखा गया था।


-धारा 376 यातना का अपराध पहले आईपीसी की धारा 376 के तहत होता था। भारतीय दंड संहिता में इसे महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के रूप में अनुसूची 5 के तहत रखा गया है। नए कानून में अब प्रताडऩा से जुड़े अपराध पर धारा 63 के तहत सजा दी जाएगी। सामूहिक अत्याचार का अपराध आईपीसी की धारा 376 की जगह धारा 70 के तहत आएगा।

-धारा 399 से पहले मानहानि के मामलों में आईपीसी की धारा 399 के तहत कार्रवाई की जाती थी। नए अधिनियम में परिशिष्ट 19 के तहत इसे आपराधिक धमकी, अपमान, मानहानि आदि के मामलों में रखा गया है। मानहानि भारतीय दंड संहिता की धारा 356 में निहित है।

-भारतीय दंड संहिता की धारा 420 धारा 316 के तहत धोखाधड़ी का अपराध बनेगी न कि धारा 420 के तहत। इस धारा को भारतीय दंड संहिता की अनुसूची 17 में संपत्ति की चोरी के अपराध की श्रेणी में रखा गया है।

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