सीमेंट फैक्ट्री ने कर दी खेती की जमीन बर्बाद, सालों से उपजाऊ भूमि में जा रहा है फैक्ट्री का डस्ट मिला गंदा काला पानी



शिकायतों की कोई सुनवाई नहीं, फैक्ट्री प्रबंधन सुन रहा और न जिला प्रशासन

भविष्य को लेकर गांवों के किसान चिंतित हैं, फसलें भी कम होने लगी है


भाटापारा । इस जिले में भी काला पानी का क्षेत्र है.. जहां जीवन नर्क होता जा रहा है.. यह बात आपको सच न लगे, पर यह बात यहां लगे अंबुजा सीमेंट संयंत्र के कारण सच है। कोल यार्ड से निकलने वाला काला पानी किसानों के लिए काला पानी की सजा बनी हुई है। संयंत्र से निकलने वाला पानी नाले के माध्यम से खेतों में जाकर भूमि को बंजर कर रहा है। कहा जाए जितने ग्रामीणों को यहां रोजगार नहीं मिला उससे ज्यादा गांव बर्बादी की ओर आगे बढ़ रहा है।


यह पानी अन्नदाताओं के लिए परेशानियों का सबब बना हुआ है। संयंत्र से निकल कर पानी खेतों में भर रहा है, जिसके कारण किसानों को बुवाई और जुताई में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गंदा पानी भरे होने के कारण किसानों को बुवाई की चिंता सताने लगी है। इसके लिए संयंत्र प्रबंधन जिम्मेदार है। वर्षों से दूषित पानी छोडऩे की वजह से जमीन की उर्वरक क्षमता कम होती जा रही है, इससे फसलों को बड़ा नुकसान हो रहा है। 


संयंत्र द्वारा छोड़ा गया पानी 12 महीने खेतों में जा रहा है, जिससे फसलों की  लगातार बर्बादी हो रही है। एन-केन-प्रकारेण अगर फसल तैयार भी हो जाती है तो कटाई में किसानों को एड़ी-चोटी एक करनी होती है। खेतों में फैक्ट्री का गंदा पानी भरा होता है, इस कारण से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। संयंत्र द्वारा छोड़े गए पानी में कोयले का बारिक कण, राखड़, फ्लाई एस के कण व सीमेंट के बारीक कण होने के कारण ये खेतों में पानी के साथ जाकर जमीन की उर्वरा शक्ति को कम कर रहा है। इससे बीज अंकुरित होने से पहले ही नष्ट हो जा रहा है। 


कुलमिलाकर सीमेंट फैक्ट्री क्षेत्र की खेती की जमीन को पूरी तरह से बर्बाद कर रही है। उपजाऊ जमीन को सीमेंट फैक्ट्री का डस्ट भरा पानी धीरे-धीरे उपजाऊ जमीम को खत्म कर रहा है, जिसके कारण किसानों को डबल बुवाई का खर्च उठाना पड़ रहा है। जानकारी दी गई कि संयंत्र से निकलने वाला दूषित पानी नाले के माध्यम से होते हुए ग्राम टोनाटार से होते हुए जमुनईया नाले में मिल जाता है। 


बारहों महीने भरा रहता है खेत में गंदा पानी

नाले का पानी खेतों तक पहुंचकर सैकड़ों एकड़ खेतों की फसलों को प्रभावित करता है। यह पानी खेतों में पूरे बारहों महीने भरा होने के कारण वह जमीन फसल उगाने की बजाय पानी में उपजने वाले खरपतवार की स्थिति में पहुंच चुकी है। अब तो खेतों की सफाई करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। संयंत्र वर्षों से नाले के माध्यम से संयंत्र का पानी छोड़ रहा है। बरसात के दिनों में अधिक बारिश होने पर अंबुजा विद्यापीठ के समीप स्थित नाला उफान पर होता है तब संयंत्र का गंदा पानी नाले के माध्यम से सैकड़ों एकड़ जमीन पर फैल जाता है। पानी कम होने के बाद सीमेंट के कण, प्लाई ऐश, कोयले के कण खेतों में जमा हो जाता है।

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