सुहानी सुबह, सूर्य अघ्र्य और भगवा वस्त्र....कुछ ऐसे ध्यान लगाते नजर आए पीएम मोदी
कन्याकुमारी । पीएम नरेंद्र मोदी ने आज शुक्रवार को कन्याकुमारी में विवेकानंद रॉक मेमोरियल के पास सूर्य देव को अघ्र्य दिया। उसके बाद दो दिन की ध्यान साधना शुरू कर दी।
भाजपा ने इससे जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया मंच पर साझा किया है। देखा जा सकता है कि पीएम मोदी ने सबसे पहले उगते हुए सूरज को जल चढ़ाया। उसके बाद हाथ जोड़कर प्रार्थना की और माला का जाप किया।
पीएम मोदी के इस आध्यात्मिक प्रवास को लेकर कन्याकुमारी में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। उनकी सुरक्षा में 2000 हजार से ज्याद पुलिस के जवानों की तैनाती की गई है। कहा जा रहा है जितने समय तक पीएम मोदी विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर रहेंगे तब तक किसी भी आम टूरिस्ट को वहां जाने की अनुमति नहीं होगी। पीएम मोदी की सुरक्षा में हृस्त्र कमांडो की तैनाती भी किए जाने की खबर है। इस ध्यान मंडपम की खास बात यह है कि यह वही स्थान है, जहां स्वामी विवेकानंद ने देश भ्रमण के बाद तीन दिनों तक ध्यान किया था। यहीं उन्होंने विकसित भारत का सपना देखा था। ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर देवी पार्वती ने एक पैर पर खड़े होकर साधना की थी।
कन्याकुमारी कई मायनों में भारत के लिए खास है। यहीं पर भारत की पूर्वी और पश्चिमी तटीय रेख मिलती है। कन्याकुमारी में ही अरब सागर, हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी का मिलन होता है। कन्याकुमारी जाकर एक तरह से पीएम मोदी ने राष्ट्रीय एकता का संदेश दिया है।
पीएम मोदी जिस स्थान पर ध्यानमग्न हैं, वह एक छोटे से द्वीप पर स्थित है, जो कि कन्याकुमारी के शीर्ष पर्यटन स्थलों में से एक है। इसी स्थान पर स्वामी विवेकानंद 1892 में तीन दिनों तक ध्यान पर बैठे थे, जब उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। मान्यता ये भी है कि देवी कन्याकुमारी (मां पार्वती) ने इस चट्टान पर एक पैर पर खड़े होकर घोर तपस्या की थी। रॉक मेमोरियल में विवेकानंद मंडपम और श्रीपाद मंडपम स्थित है। इस स्थान पर स्वामी विवेकानंद की एक विशाल प्रतिमा स्थापित है। इस स्थान पर जाने का सबसे अच्छा समय अक्तूबर से मार्च का महीना होता है।
विवेकानंद की ध्यान स्थली
पीएम नरेंद्र मोदी गुरूवार की शाम से भारत के दक्षिणतम छोर पर, कन्याकुमारी के नीले पानी में उभरे एक पत्थर पर बने विवेकानंद रॉक मेमोरियल में ध्यान में लीन है। यह वही पत्थर है जहाँ कभी स्वामी विवेकानंद ने समुद्र की लहरों और शांत हवाओं के बीच घंटों ध्यान किया था। यह पत्थर, कन्याकुमारी के समुद्र तट से लगभग 500 मीटर दूर स्थित दो पत्थरों में से एक पर स्थित है। विवेकानंद के जीवन में इस पत्थर का महत्व गौतम बुद्ध के लिए सारनाथ जैसा ही था।