देशभर में दस लाख से ज्यादा सड़क हादसों में बीमा के दावे लंबित, मदद के इंतजार में पीडि़त



नई दिल्ली। देशभर में सड़की हादसे बढ़ते जा रहे है। ऐसे में सड़की हादसे का शिकार हुए परिजनों को इलाज के लिए बीमा पालिसी पर आस होती है। लेकिन कई बार बीमा पालिसी कंपनियां भी पैसे देने में टाल मटोल करती रहती है। ऐसे में आरटीआई के जरिए ये बात सामने आई है कि 10,46,163 मोटर हादसे, जो कि 80,455 करोड़ के दावे देशभर में लंबित पड़े हैं। बीमा के ये मामले लगातार बढ़ रहे हैं। साल 2018-19 से 2022-23 के दौरान ये जानकारी आरटीआई से सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट के वकील केसी जैन ने अप्रैल 2024 में इरडा यानी इंश्योरेंस रेग्युलेटरी एंड डेवलेपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने ये जानकारी आरटीआई के जरिए दी है। इरडा द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, वित्त वर्ष 2018-19, 2019-20, 2020-21, 2021-22, और 2022-23 के दौरान मोटर वाहन हादसों के लंबित दावों की संख्या 9,09,166, 9,39,160, 10,08,332, 10,39,323 और 10,46,163 रही। वहीं, इस दौरान दावों की राशि क्रम्श: 2,713 करोड़ रुपये, 61,051 करोड़ रुपये, 70,722 करोड़ रुपये, 74,718 करोड़ रुपये, और 80,455 करोड़ रुपये रहा।

इरडा के मुताबिक, वह जिला और राज्य के आधार पर मोटर थर्ड पार्टी दावों की जानकारी नहीं जुटाता है। वहीं, सड़क सुरक्षा कार्यकर्ता ने इस बात पर चिंता जताई कि सड़क हादसे में पीडि़त को आर्थिक मदद मिलने में औसतन 4 साल का समय लगता है। इरडा की जानकारी के मुताबिक, 2022-23 में मोटर हादसों के 10,39,323 नए मामले सामने आए, मगर इसमें से सिर्फ 29 फीसदी मामलों में ही सेटलमेंट किया गया। इन दावों को पूरा करने में भी लगभग 4 साल का वक्त लगाया गया। जैन ने सुप्रीम कोर्ट में सिविल विट पिटीशन दायर कहा कि सड़क हादसों के पीडि़तों को देर से मिलने वाली आर्थिक मदद और फैसले को लेकर एप्लिकेशन दी। इसमें सुझाव के तौर पर कहा गया है कि गंभीर मामलों में 5 लाख और घायल होने पर 2.50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए।

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने

Recent in Sports