सुकमा एसपी किरण चव्हाण ने कहा भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद हुआ
सुकमा । बस्तर संभाग में एक बार फिर जवानों और नक्सलियों के बीच जमकर मुठभेड़ हुई है। सुकमा के जंगल में शनिवार 18 मई की सुबह डीआरजी के जवान और नक्सलियों के बीच गोलीबारी की खबरें सामने आई। बताया जा रहा है कि इस मुठभेड़ में डीआरजी के जवानों ने एक नक्सली को मार गिराया है। वही मुठभेड़ के बाद जवानों को बड़ी मात्रा में विस्फोटक मिला है।
जानकारी अनुसार सुकमा जिले के टेटराई तोलनाई के जंगल में शनिवार सुबह जमकर मुठभेड़ हुई है। इस मुठभेड़ में जवानों ने एक खूंखार नक्सली को ढेर कर दिया है। इस मुठभेड़ के दौरान नक्सलियों ने भी जवानों पर जमकर गोलियां बरसाई, जिसके जवाब में जवानों ने फायरिंग की है। बताया जा रहा है कि जवानों को भारी पड़ता देख नक्सली जंगल की आड़ लेकर फरार हो गए। इस मुठभेड़ की पुष्टि सुकमा एसपी किरण चव्हाण ने की है।
रात को मिली माओवादियों के मौजूदगी की सूचना
सुकमा एसपी किरण चव्हाण ने बताया कि शुक्रवार की रात टेटराई के जंगल में नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी। इसके बाद डीआरजी के जवानों की एक टीम बनाकर ऑपरेशन के लिए रवाना किया गया था। नक्सलियों और जवानों के बीच हुई इस मुठभेड़ में एक नक्सली मारा गया, जिसके शव को बरामद कर लिया गया है। इसके साथ ही नक्सली के शव के पास से एक बंदूक और भारी मात्रा में विस्फोटक मिला है। नक्सली की शिनाख्ती के साथ मुठभेड़ स्थल व आसपास के एरिया में सर्चिंग अभियान जारी है।
इस साल अब तक 105 नक्सली मारे गए
इस घटना के साथ ही इस साल राज्य में सुरक्षा बलों के साथ अलग-अलग मुठभेड़ों में अब तक 105 नक्सली मारे जा चुके हैं। इससे पहले 10 मई को बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में 12 नक्सली मारे गए थे। वहीं 30 अप्रैल को नारायणपुर और कांकेर जिले की सीमा पर सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में तीन महिलाओं सहित 10 नक्सली मारे गए थे। इससे पहले सुरक्षाबलों ने 16 अप्रैल को राज्य के कांकेर जिले में मुठभेड़ में 29 नक्सलियों को मार गिराया था। वहीं बीच-बीच में एक-दो माओवादी मारे गए हैं।
बस्तर से माओवादियों के खात्मे में 'नियद नेल्लानारÓयोजना कारगार अस्त्र बना
बस्तर में माओवादियों के खात्मे की सबसे बड़ी ताकत 'नियद नेल्लानारÓ योजना है जिससे ग्रामीणों से फोर्स को पूरा सहयोग मिल रहा है। इसी कारण माओवादियों के खिलाफ पुलिस कामयाब हो रही है। तो उसके पीछे भी कहीं ना कहीं स्थानीय स्तर पर सरकार का बढ़ता जनाधार बड़ी वजह रहा है। 'नियद नेल्लानारÓ यानी 'मेरा अपना गांवÓ, छत्तीसगढ़ सरकार की यह योजना गांव गांव तक विकास पहुंचाने में साकार साबित हो रही है।
हर गांव में सड़क, पानी, बिजली और बुनियादी विकास जिसमें मोबाइल नेटवर्क भी शामिल है, पहुंचाया जा रहा है। इसके लिए नक्सल प्रभावित इलाकों में जहां आज तक माओवादियों की वजह से यह सुविधा नहीं पहुंची है। वहां पुलिस कैंप को प्रमुख केंद्र बनाया जा रहा है।
फोर्स लोगों से कर रही मुलाकात
बस्तर संभाग में करीब 64 ऐसे गांव हैं, जहां पहले चरण में यह सारी बुनियादी सुविधाएं संचालित की जा रही हैं। पुलिस फोर्स गांव गांव में लोगों से मुलाकात कर रही है। वे लोगों से माओवादियों से दूर रहने उनके विचारधारा से दूर रहने अपराध नहीं करने के साथ ही सरकारी योजनाओं की भी जानकारी दे रही है। सरकारी अधिकारी कर्मचारी ग्राउंड जीरो तक पहुंच रहे हैं। ऑपरेशन के साथ विकास भी ग्रामीणों की शर्त पर, इसे केंद्र में रखते हुए ही गांव-गांव में काम किया जा रहा है। अगर बस्तर का नक्शा उठा कर देखें, तो बस्तर में पहले के मुकाबले अब औद्योगिक गतिविधियों में भी तेजी आई है। सड़कों का नेटवर्क नक्सल प्रभावित इलाकों में जो कटा हुआ था अब वह फिर बहाल हो चुका है। बीजापुर से जगरगुंडा, दंतेवाड़ा से जगरगुंडा होते हुए तेलंगाना बीजापुर से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सीधा सड़क संपर्क तैयार हो गया है। यही कारण है कि बस्तर में अब तेजी से नक्सली सिमट रहे हैं। इस तरह से सरकारी योजनाओं के माध्यम से लोगों को विश्वास में लेकर नक्सलियों को कमजोर किया जा रहा है।
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