कोडिय़ाघाट और घमोटा के बीच हसदेव नदी पर बनाया गया है करोड़ों का पुल
कोरबा । कोडिय़ाघाट और घमोटा के बीच हसदेव नदी पर 15 करोड़ की लागत से पुल का निर्माण हो चुका है। पुल को दोनों ओर से मुख्य मार्ग जोडऩे के लिए जमीन अधिग्रहण का काम लंबित है।
शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली से परेशान ग्रामीणों ने अंत में पुल से आवागमन को शुरू करने के लिए खुद ही एप्रोच मार्ग तैयार करने की ठानी और कड़ी मेहनत के साथ सड़क तैयार कर लिया। वैकल्पिक ही सही, मिट्टी का एप्रोच मार्ग बनने से आसपास के 13 गांवों के लोगों को नाव से आवागमन से मुक्ति मिलने के साथ समय की बचत हो रही है। ऐसे में दो साल में एप्रोच मार्ग का निर्माण नहीं होना प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है। बता दें कि प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत गांवों को मुख्य मार्ग से जोडऩे के लिए शासन कोई कसर नहीं छोड़ी है। इस बीच ऐसे भी गांव हैं जिनके बीच नदी ने दूरी बढ़ा दी है। इनमें धनगांव, कोडिय़ाघाट, पोड़ीखोहा, सरईसिंगार, पंडरीपानी, तिलईडांड़, तुंगुमाड़ा आदि ऐसे गांव हैं जहां के ग्रामीणों को कटघोरा-कोरबा मुख्य मार्ग से जुडऩे के लिए रूमगड़ा होते हुए 45 किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ता है। वहीं दूसरी ओर नदी मार्ग से यह दूरी मात्र पांच किलोमीटर पड़ती है।
समय और धन बचाने नाव से करते हैं नदी पार
समय और धन की बचत को देखते हुए अधिकांश ग्रामीण कोडिय़ाघाट और घमोटा के बीच हसदेव नदी में नाव से आना-जाना करते थे। नाव केवल दिन में ही चलती थी। रात के समय आवागमन के लिए लोगों को लंबी दूरी का ही सहारा लेना पड़ता था। इस समस्या से निजात दिलाने के लिए झोरा से कोडिय़ाघाट के बीच 15 करोड़ की लागत से पुल निर्माण की स्वीकृति शासन ने दी है। वर्ष 2018 में इसकी स्वीकृति हुई और 2021 तक पूरा हो जाना था। निर्माण कार्य तीन साल पीछे चल रहा है। नदी के दोनों छोर तक पुल का पूरा निर्माण हो चुका है।
एप्रोच रोड के लिए जमीन ही अधिग्रहण नहीं
अब पुल के दोनों ओर मुख्य सड़क से जोडऩे के लिए एप्रोच मार्ग के लिए निजी जमीन बाधा बन रही है। राजस्व विभाग की ओर से अधिग्रहण प्रकिया पूरी नहीं किए जाने के कारण पुल का लोकार्पण नहीं हुआ है। पुल के दोनों ओर लगभग 20 एकड़ जमीन अधिग्रहित की जानी है। सेतु विभाग की ओर आवश्यक भूमि के राशि भी जमा कर दी है। पर राजस्व विभाग की ओर से मामले का निराकरण नहीं किया है।
अब बारिश के बाद ही उम्मीद
आदर्श आचार संहिता और चुनावी व्यस्तता के कारण भू-अधिग्रहण का काम मई जून में होना संभव नहीं। जब तक आचार संहिता समाप्त होगा तब तक मानसून की शुरूआत हो चुकी होगी। पुल के एप्रोच मार्ग के लिए लोगों को वर्षाकाल समाप्त होने तक फिर इंतजार करना होगा।