कारोबारियों ने निर्यात बढ़ाने के लिए मांगी सस्ती पूंजी



नई दिल्ली । भारतीय निर्यातक महासंघ (फियो) ने यूक्रेन-रुस युद्ध और लाल सागर एवं पश्चिम एशिया के संकट को देखते हुए सस्ती पूंजी और छोटे उद्योगों के लिए प्रभावी निर्यात कोष बनाने की मांग की है। फियो के अध्यक्ष अश्विनी कुमार, उपाध्यक्ष इसरार अहमद और महानिदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. अजय सहाय ने बृहस्पतिवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में यह बात रखी। डॉ. सहाय ने कहा भविष्य में भारतीय निर्यात की गति बनाये रखने के लिए कारोबारियों को सस्ती पूंजी उपलब्ध कराना और छोटे उद्योगों के लिए निर्यात कोष आवश्यक होगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017-18 से वर्ष 2023-24 के बीच कोविड काल और वैश्विक अनिश्चितता के बावजूद भारतीय निर्यात 8.5 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ा है। 

यह 778 अरब डालर  तक पहुंच गया है। लेकिन इस वृद्धि को बनायें रखने के लिए सरकार को कुछ प्रोत्साहनात्मक कदम उठाने होंगे। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय उत्पाद प्रतिस्पर्धी होंगे।

उन्होंने कहा कि पश्चिम एशिया के संकट के कारण परिवहन लागत में इजाफा हुआ है जिसके कारण कुल लागत भी बढ़ी है। इसके अलावा यात्रा समय में लगभग दो गुनी वृद्धि हुई है। इसका पूरा भार अभी तक निर्यात कारोबारी उठा रहा है। लेकिन लंबे समय तक यह संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि भारतीय निर्यात को बनायें रखने के लिए सस्ती पूंजी उपलब्ध करानी होगी और बैंकों को ब्याज दर घटानी होगी जिससे कारोबारियों को लंबे समय तक पूंजी उपलब्ध हो सके।

निर्यात कोष प्रभावी बनाने प्रक्रिया हो सरल

उन्होंने कहा कि छोटे उद्योगों के उत्पादों को प्रोत्साहन देने के लिए निर्यात कोष को प्रभावी बनाना होगा। इसके लिए प्रक्रिया सरल करनी होगी और शुल्क घटाने होंगे। उन्होंने कहा कि निर्यात संवर्धन परिषदों, व्यापार प्रोत्साहन सगठनों और कृषि उपज आधारित बोर्डों को छोटे उद्योगों के निर्यात का बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने चाहिए। वर्ष 2030 तक दो हजार अरब डालर का निर्यात लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रतिवर्ष 12़ 7 प्रतिशत की दर की वृद्धि प्राप्त करनी होगी। मौजूदा वैश्विक हालात और उपायों में उचित परिवेश बनाने यह संभव है।

अहमद ने कहा कि उत्पादन आधारित प्रोत्साहन नीति के सकारात्मक परिणाम सामने आये हैं। इससे मशीनरी, इलेक्ट्रीकल, इलेक्ट्रिक, ऑटो, फार्मा और जैव प्रौद्योगिकी का निर्यात बढा है। उन्होंने कहा कि श्रम आधारित उद्योगों का निर्यात बढ़ाना एक चुनौती बना हुआ है। इन कपडा, वस्त्र, परिधान, आभूषण एवं जेवरात, जूता चप्पल आदि शामिल है। इस क्षेत्र में निर्यात बढ़ाने के लिए वैश्विक मांग के अनुरुप उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता है। कौशन विकास इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

डॉ. सहाय ने ईरान के चाबहार बंदरगाह का नियंत्रण भारतीय कंपनी के हाथ लाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे भारतीय निर्यात को लाभ होगा। इससे भारतीय निर्यात को अफगानिस्तान, रुस और संबंधित क्षेत्र, मध्य एशिया और यूरोप के कई देशों तक आसान पहुंच उपलब्ध होगी।

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