खराब मौसम के कारण महगांई का खतरा; जीडीपी ग्रोथ में भी आ सकती है बाधा




-मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण महंगाई का खतरा 



मुंबई। मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण महंगाई का खतरा है। साथ ही वैश्विक स्तर पर लंबे समय तक तनावपूर्ण स्थितियों के कारण कच्चे तेल की कीमतें अस्थिर रह सकती हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने इस संबंध में कहा गया है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति मार्च में 4.9 फीसदी पर आ गयी।

 


इससे पहले पिछले दो महीने में यह औसतन 5.1 फीसदी थी. रिजर्व बैंक अपनी मौद्रिक नीति निर्णय पर पहुंचने से पहले मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति को ध्यान में रखता है। रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के मोर्चे पर चिंताओं का हवाला देते हुए फरवरी 2023 से रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।

 


जीडीपी पर असर पड़ सकता है

 


आरबीआई ने यह भी कहा है कि जहां देश में वास्तविक जीडीपी वृद्धि में तेजी आने की स्थितियां बन रही हैं, वहीं लंबे समय तक वैश्विक तनाव और प्रतिकूल मौसम की घटनाओं से मुद्रास्फीति के लिए खतरा पैदा हो सकता है। रिजर्व बैंक के बुलेटिन में 'अर्थव्यवस्था की स्थितिÓ शीर्षक से प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि 2024 गर्म पानी का झरना होगा। ये संकेत हैं कि मार्च 2024 पिछले 170 वर्षों में सबसे गर्म मार्च होगा। डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा के नेतृत्व वाली टीम ने कहा कि इस गर्मी में सावधानी बरतनी होगी।

 


मानसून से पहले बढ़ेगी महंगाई!

 


मानसून के आगमन से पहले उच्च तापमान के कारण खाद्य पदार्थों की कीमतें बढऩे की संभावना है। लेख में यह भी कहा गया है, "निकट अवधि में, लंबे समय तक भू-राजनीतिक तनाव और प्रतिकूल मौसम की घटनाओं से मुद्रास्फीति का खतरा पैदा हो सकता है।

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