जग्गी हत्याकांड : सप्ताह भर में दोषियों को करना होगा कोर्ट में सरेंडर


हाईकोर्ट से सभी दोषियों की अपील खारिज

बिलासपुर । बहुचर्चित रामावतार जग्गी हत्याकांड में हाईकोर्ट ने सभी २८ दोषियों की अपील खारिज करते हुए निचली अदालत द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है। इससे पहले अपील की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसे आज सुना दिया गया। सभी दोषियों को हफ्तेभर के भीतर ट्रायल कोर्ट ने सरेंडर करने का आदेश दिया है। 

हत्याकांड में इन्हें माना गया है दोषी 

आजीवन कारावास की सजा पाने वालों में 2 तत्कालीन सीएसपी, एक तत्कालीन थाना प्रभारी के अलावा रायपुर नगर निगम के मेयर एजाज ढेबर के भाई याहवा ढेबर, शूटर चमन सिंह शामिल हंै। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद सिन्हा की बेंच में मामले की सुनवाई के बाद 29 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। जिसके बाद आज गुरुवार 4 अप्रैल 2024 को अदालत ने अपना फैसला सुनाया। 

 

4 जून 2003 को हुई थी घटना

4 जून 2003 को एनसीपी के कोषाध्यक्ष रामावतार जग्गी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में तत्कालिन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी सहित 31 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इस मामले में दो आरोपी बल्टू पाठक और सुरेन्द्र सिंह सरकारी गवाह बन गए थे। अमित जोगी को कोर्ट ने बरी कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ रामअवतार जग्गी के पुत्र सतीश जग्गी की ओर से अपील सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है, जो विचाराधीन है।


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