रायपुर । एक पुरानी कहावत है कि कई बार गधे को घोड़ा बनाने के प्रयास में पूरा अस्तबल खाली हो जाता है। डॉ. महंत के तल्ख़ मुहावरे कहीं जान बूझकर तो बोले नहीं गए? 36 घंटे से ज्यादा बीतने के बाद भी महंत की ख़ामोशी और बीजेपी नेताओं की सियासत पर मुहावरों से कांग्रेस को कितना लाभ मिलेगा, बीजेपी एफआईआर के बदले क्यों कर रही प्रदर्शन? ...ये सवाल अब उठ रहे हैं। ठ्ठ शेष पृष्ठ 6 पर
लोकसभा चुनाव का तापमान कांग्रेस के इतना सिर चढ़कर बोलने लगा है कि एक ही दिन में अपनी ही पार्टी के चार लोकसभा प्रत्याशियों के लिए सीनियर लीडर और नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत का बयान मुसीबत बन गया है। फि़लहाल देशभर में जब पीएम मोदी की तूती बोल रही है तब उनके सिर फोडऩे, लाठी मारने और कांग्रेस छोड़कर भाजपा जाने वाले उद्योगपति नविन जिंदल को जूता मारने वाला मुहावरा अब बहस का मुद्दा है।
चरणदास महंत को नांदगांव में ऐसा बोलने की वजह क्या थी यह वही बेहतर जानते हैं। लेकिन उन जैसे सुलझे कांग्रेस नेता के मुंह से ऐसे उग्र मुहावरे के निकलने की वजह जो भी रही हो इसका फायदा उनकी पार्टी के प्रत्याशियों को होता नहीं दिख रहा। बैठे बिठाये क्चछ्वक्क को चुनावी मुद्दा मिल गया है और भाजपा भी इस मौके को भुनाने में कोई कसार बाकि नहीं रख रही।
बीजेपी ने बयान के बाद से मोदी परिवार के बाद 'मैं हूं मोदी का परिवार, पहले लाठी मुझे मारोÓ अभियान शुरू कर दिया है। बीजेपी इसके खिलाफ बुधवार को सड़क पर उतर आई। मजे की बात यह कि डिप्टी सीएम और गृहमंत्री विजय शर्मा समेत तमाम भाजपाइयों ने रायपुर स्थित महंत के सरकारी बंगले के बाहर प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि हम तो लाठी खाने के लिए आए हैं।
बयान के खिलाफ भाजपाइयों का प्रदर्शन
भाजपाइयों ने सिविल लाइन थाने के बाहर भी नारेबाजी कर एफआईआर दर्ज करने की मांग की। बयान के खिलाफ चुनाव आयोग में भी शिकायत की गई है और 'मैं हूं मोदी का परिवार, पहले लाठी मुझे मारोÓ पोस्टर भी जारी किया है। क्चछ्वक्क की प्रदेश में सत्ता है, ष्टरू और गृहमंत्री भी इस बयान के बाद खासे नाराज हैं फिर भी पैदल मार्च, नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत का बंगला घेरने और प्रदर्शन की भी जनता में सियासी चर्चा होने लगी है।
सुलगते सवाल
द्य डॉ. चरणदास महंत मोदी की मुड़ी फोडऩे वाला मुहावरा दिए तो जिंदल को जूता करने वाला बयान भी मुहावरा था क्या ?
द्य कबीर के अनुयायी महंत के मुंह से चार लोकसभा में दिए अलग अलग बयान का पार्टी प्रत्याशियों को क्या मिलेगा लाभ?
द्य विवादित बयान और फिर माफ़ी मांगने के बाद भी बंगला का घेराव, रैली, पहले लाठी मुझे मारोÓ अभियान क्या चुनावी है?
द्य बीजेपी की सत्ता है फिर एफआईआर और मुहावरों की जांच के आदेश के बदले गृहमंत्री विजय शर्मा का रैली और घेराव करना क्या लाजमी है?
द्य क्या भाजपा के लिए 'मैं हूं मोदी का परिवार, पहले लाठी मुझे मारोÓ एक चुनावी अभियान जैसा है कोई नए बयान तक चलेगा?