-भारत में गरीबी दर के आंकड़ों में भारी कमी आई
नई दिल्ली। केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं की वजह से भारत में गरीबी दर के आंकड़ों में भारी कमी आई है। एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2022-23 में भारत की गरीबी दर 4.5-5 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है। 2011-12 में ग्रामीण गरीबी 25.7 प्रतिशत थी, जो घटकर 7.2 प्रतिशत हो गई है। इसी तरह, शहरी गरीबी एक दशक पहले की तुलना में गिरकर 4.6 प्रतिशत हो गई है।
रिपोर्ट में क्या कहा गया है?
कोविड महामारी के बाद से ग्रामीण गरीबी में 440-आधार अंक और शहरी गरीबी में 170-आधार अंक की उल्लेखनीय कमी आई है। सरकारी योजनाएं उनके लिए कारगर साबित होती नजर आ रही हैं। ऐसी कई सरकारी योजनाएँ हैं जिनका ग्रामीण आजीविका पर लाभकारी प्रभाव पड़ा है। विश्व बैंक के अनुसार, भारत की गरीबी दर ग्रामीण क्षेत्रों में 11.6 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 6.3 प्रतिशत तक गिर गई है।
सांख्यिकी की गणना कैसे करें?
सुरेश तेंदुलकर की अध्यक्षता वाले विशेषज्ञ समूह की सिफारिशों के आधार पर गरीबी दर का नया फॉर्मूला तैयार किया गया है। इस फॉर्मूले के अनुसार 2011-12 के लिए राष्ट्रीय गरीबी रेखा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 816 रुपये प्रति व्यक्ति और शहरी क्षेत्रों के लिए 1,000 रुपये प्रति व्यक्ति अनुमानित की गई थी। 2014 के बाद से भारत में गरीबी रेखा की गणना में कोई सुधार नहीं हुआ है।
उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण डेटा
रविवार को नीति आयोग के सीईओ बीवी आर सुब्रमण्यम ने गरीबी रेखा पर बयान दिया। उन्होंने कहा था कि नवीनतम उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण से पता चलता है कि देश में गरीबी कम होकर पांच प्रतिशत हो गई है और ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लोग समृद्ध हो रहे हैं।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) ने शनिवार को वर्ष 2022-23 के लिए घरेलू उपभोग व्यय डेटा जारी किया। 2011-12 की तुलना में 2022-23 में प्रति व्यक्ति मासिक पारिवारिक व्यय दोगुना हो गया है।