लद्दाख। भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 354 के तहत सार्वजनिक स्थान पर पत्नी को थप्पड़ मारना उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाने का अपराध नहीं है। यह बात जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने एक शख्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए कही। इस याचिका के जरिए ट्रायल कोर्ट द्वारा प्रक्रिया के मुद्दे को चुनौती दी गई थी। सुनवाई के समय कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के जारी आदेश को खारिज कर दिया है। हालांकि धारा 323 के तहत कार्रवाई बरकरार रखी गई है।
क्या था मामला? -
पति-पत्नी के बीच कुछ विवाद चल रहा था। पत्नी ने दावा किया कि जब वह मामले की सुनवाई के लिए फैमिली कोर्ट पहुंची तो उसके पति ने उसे सबके सामने थप्पड़ मार दिया। घटना के संबंध में पति के खिलाफ आईपीसी की धारा 323 और 354 के तहत शिकायत दर्ज की गई थी।
हाई कोर्ट में क्या हुआ? -
पति की याचिका पर सुनवाई करने वाले न्यायमूर्ति रजनीश ओसवाल ने कहा कि आईपीसी की धारा 354 के तहत अपराध नहीं किया जा सकता है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जानबूझकर किसी को नुकसान पहुँचाना आईपीसी की धारा 323 के तहत अपराध हो सकता है।
कोर्ट के आदेश के मुताबिक, 'जैसा कि शिकायत में कहा गया है, आईपीसी की धारा 354 के तहत कोई अपराध नहीं किया गया है। लेकिन आईपीसी की धारा 323 के तहत यह अपराध हो सकता है। क्योंकि प्रतिवादी ने स्पष्ट रूप से कहा कि जब वह कार्यवाही में भाग लेने आई तो याचिकाकर्ता ने उसे सार्वजनिक रूप से पीटा और थप्पड़ मारा।
महत्वपूर्ण बात यह है कि महिला की ओर से पेश वकील आईपीसी की धारा 354 के तहत यह अपराध नहीं कर सकता। लेकिन यह भी माना जाता है कि आईपीसी की धारा 323 पर यहां विचार किया जा सकता है।