प्रधानमंत्री मोदी की लक्षद्वीप यात्रा को लेकर मंत्री के आपत्तिजनक बयान



-गहरे समुद्र में मालदीव सरकार की कैबिनेट बैठक; असली कारण क्या है? 


नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में लक्षद्वीप का दौरा किया और देश के लोगों से वहां भी जाने का आग्रह किया। उनकी लक्षद्वीप वाली तस्वीरें देखकर मालदीव के मंत्री इतने भड़क गए कि उन्होंने प्रधानमंत्री के खिलाफ आपत्तिजनक बयान तक दे डाला। नतीजा ये हुआ कि भारत में बॉयकाट मालदीव ट्रेंड करने लगा। इसी बीच आज हम आपको मालदीव में घटी एक अनोखी घटना के बारे में बताने जा रहे हैं।


बैठक 30 मिनट तक चली


ये घटना अक्टूबर 2009 की है। बढ़ता वैश्विक तापमान मालदीव जैसे देशों के अस्तित्व के लिए खतरा पैदा करता है। मालदीव का अधिकांश भाग समुद्र तल से केवल एक मीटर ऊपर है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह देश वर्ष 2100 तक समुद्र में डूब जाएगा। ख़तरा इतना बड़ा है कि हर साल देश का कुछ हिस्सा समुद्री पानी में डूब रहा है। 19 अक्टूबर 2009 को सरकार ने दुनिया को उच्च तापमान संकट के बारे में चेतावनी देने के लिए समुद्र में 30 मिनट तक एक कैबिनेट बैठक की।


सभी अलमारियाँ समुद्र के पानी में


मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद की अध्यक्षता में हुई इस कैबिनेट बैठक में 11 मंत्री और कैबिनेट सचिव भी शामिल हुए। बैठक 15 फीट पानी के नीचे हुई, जिसके लिए सभी मंत्री ऑक्सीजन मास्क पहनकर समुद्र के पानी में उतरे। प्रत्येक ने एक दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए जिसमें दुनिया के सभी देशों से खतरनाक गैसों के उत्सर्जन को कम करने का आह्वान किया गया। उस वक्त वायरल हुए वीडियो में सभी नेता काले डाइविंग सूट और मास्क पहने नजर आ रहे थे।



दुनिया में पहली बार


राष्ट्रपति और मंत्रियों के बैठने के लिए पानी के अंदर टेबलें लगाई गईं। राष्ट्रपति समेत सभी मंत्री पानी के भीतर हाथ के इशारे से बातें करते दिख रहे थे और जलरोधक बोर्ड पर अमिट स्याही से टिप्पणियाँ लिखी जा रही थी। इस मौके पर सभी मंत्रियों की सुरक्षा का खास ख्याल रखा गया। प्रत्येक मंत्री के साथ एक कुशल स्कूबा गोताखोर भेजा गया। मालदीव में शार्क भी ज्यादा आक्रामक नहीं होती इसलिए उनके हमले का कोई डर नहीं था। दुनिया में यह पहला मौका था जब कैबिनेट की बैठक समुद्र के पानी में हुई।

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