बीजेपी को सीएम, कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष की तलाश, मंत्रियों के बंगले खाली होना शुरू



रायपुर । छत्तीसगढ़ में कांग्रेस इस बार विपक्ष की भूमिका निभाने वाली है। बीजेपी में जहां चर्चा है कि अगला सीएम कौन होगा तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस में चर्चा है कि नेता प्रतिपक्ष कौन बनेगा। उधर, छत्तीसगढ़ में भाजपा को बहुमत मिलने के बाद अब सीएम पद की रेस जारी है। इस बीच कुछ नामों को लेकर चर्चा भी है। इस बीच केंद्रीय राज्य मंत्री और भरतपुर-सोनहत से विधायक चुनी गईं रेणुका सिंह को सीएम बनाने के लिए हवन-पूजन शुरू हो गया है। रेणुका के सूरजपुर स्थित आवास के बाहर ही समर्थकों ने मंगलवार को यज्ञ कराया।  छत्तीसगढ़ में 5 साल सत्ता संभालने के बाद कांग्रेस फिर विपक्ष की भूमिका में रहेगी। 2023 के चुनाव में डिप्टी सीएम सिंहदेव समेत 9 मंत्रियों के हार की वजह से अब कांग्रेस के पास अब गिनती के अनुभवी चेहरे बचे हैं। रेस में पहला नाम पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, विधानसभा अध्यक्ष रहे डॉ. चरणदास महंत, पूर्व मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मंत्री उमेश पटेल और लखेश्वर बघेल हैं। कांग्रेस के पास वैसे तो 35 विधायक हैं लेकिन इनमें से 14 विधायक पहली बार विधानसभा पहुंचे हैं। बाकी 21 में आधे से ज्यादा दूसरी बार विधायक बने हैं। इनमें एक भी अच्छा वक्ता नहीं है। 


मंत्रियों के बंगले खाली होना शुरू 

राज्य में भाजपा बहुमत के साथ सरकार बना रही है। नई सरकार के आने से पहले ही कांग्रेस में पावरफु ल मंत्रियों के बंगले खाली होना शुरू हो गए हैं। बंगले के बाहर लगी नेम प्लेट भी उखाड़ी जा रही है। मंगलवार को मंत्री मोहम्मद अकबर ने अपना बंगला खाली कर दिया है। वहीं रवींद्र चौबे ने अपने नाम के आगे पूर्व मंत्री लिखवा दिया है। 


9 मंत्री समेत 15 वरिष्ठ नेता चुनाव हारे 

उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस के सीनियर लीडर्स टीएस सिंहदेव, रविंद्र चौबे, ताम्रध्वज साहू, मोहम्मद अकबर, शिव डहरिया, अमरजीत भगत, जय सिंह अग्रवाल, मोहन मरकाम और रूद्र कुमार चुनाव हारे हैं। इसके अलावा अमितेश शुक्ल, वरूण वोरा, धनेंद्र साहू, देवेंद्र बहादुर और रामपुकार सिंह जैसे वरिष्ठ नेता भी हार गए। इससे कांग्रेस के पास सीनियर लीडर्स की कमी हो गई है। अब केवल सीएम भूपेश बघेल, चरणदास महंत और लखेश्वर बघेल और कवासी लखमा ही बचे हैं। वहीं खरसिया से जीत की हैट्रिक लगा चुके उमेश पटेल एक बड़े नाम हैं। 


महंत समेत 5 दावेदार 

छत्तीसगढ़ विधानसभा में 35 सीट जीतने वाली कांग्रेस में अब नेता प्रतिपक्ष बनने की होड मची है। वैसे तो एक या एक से अधिक बार जीतने वाले कई विधायक और पूर्व मंत्री इस होड में शामिल है। लेकिन अभी तक गंभीर नेता के रुप में विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत के नाम की ही चर्चा है। गौरतलब है कि 23 साल के राजनीतिक इतिहास में महंत ने उस मिथक को तोड़ा है कि विधानसभा अध्यक्ष चुनाव हार जाते है। महंत पहले ऐसे अध्यक्ष है जो दूसरी बार चुनाव जीते । यह बात अलग है कि सरकार चली गई है लेकिन महंत चुनाव जीत गए। जीतने को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी चुनाव जीत गए है लेकिन पार्टी के अंंदरखाने उनका जर्बदस्त विरोध शुरु हो गया है। इसलिए नेता प्रतिपक्ष के लिए भी उनकी नाम की चर्चा नहीं हो रही है। वहीं उमेश  पटेल भी केवल अपने विधानसभा तक ही सीमित हैं। ऐसे में वो भी इसमें फि ट नहीं बैठ पा रहे हैं। लखमा लिखा पढ़ी के काम में पीछे हो जाएंगे और उनके विवादित बयान हमेशा चर्चा का विषय भी रहे हैं। ऐसे में पार्टी के पास पूर्व सीएम भूपेश बघेल और लखेश्वर बघेल केवल दो ही विकल्प बच रहे। 

दिल्ली में सीएम का नाम होगा तय 

छत्तीसगढ़ में भाजपा को बहुमत मिलने के बाद अब सीएम पद की रेस जारी है। इस बीच कुछ नामों को लेकर चर्चा भी है। इनमें सबसे ऊपर पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष अरूण साव, विष्णुदेव साय, रामविचार नेताम, रेणुका सिंह और ओपी चौधरी के नामों पर चर्चा है। ठ्ठ शेष पृष्ठ 6 पर

 मंगलवार को दिल्ली में भाजपा की बड़ी बैठक हुई है। इसमें छत्तीसगढ़ के प्रदेश और चुनाव प्रभारी ओपी माथुर, सहायक प्रभारी मनसुख मंडाविया, प्रदेशाध्यक्ष अरूण साव भी शामिल हुए। बैठक में छत्तीसगढ़ के लिए पर्यवेक्षक का नाम तय किया जाएगा। इसके बाद एक दो दिन में रायपुर में विधायक दल की बैठक होगी।

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