रायपुर। विधायक दल की बैठक में केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और अर्जुन मुंडा और दुष्यंत कुमार गौतम के अलावा छत्तीसगढ़ बीजेपी प्रभारी ओम माथुर भी मौजूद हैं। भाजपा विधायक दल की बैठक में सीएम का नाम फाइनल हो चुका है। आदिवासी समुदाय से आने वाले विष्णुदेव साय ही राज्य के नए मुख्यमंत्री होंगे।
छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय को नया मुख्यमंत्री घोषित कर दिया गया है। लंच के बाद विधायकों के साथ पर्यवेक्षकों की बैठक हुई। सुबह करीब नौ बजे केंद्रीय पर्यवेक्षक रायपुर पहुंचे और दोपहर बारह बजे से विधायकों के साथ सीएम के नाम पर मंथन चल रहा था। विधायक दल की बैठक में सीएम का नाम तय होने के बाद दिल्ली से सीएम के नाम पर मुहर लगी।
बनाए गए दो डिप्टी सीएम
छत्तीसगढ़ में सीएम के ऐलान के बाद, दो डिप्टी सीएम का भी ऐलान हुआ है। इनमें अरुण साव और विजय शर्मा दोनों को उपमुख्यमंत्री के तौर पर मनोनीत किया गया है।
पर्यवेक्षकों के पास थे दो विकल्प
पर्यवेक्षकों के पास दो विकल्प थे जिसमें पहला ये कि मीटिंग में ही ऐलान करें कि कौन होगा सीएम और या विधायकों की राय लेकर दिल्ली आए और बाद में दिल्ली से सीएम के चेहरे का ऐलान हो। जीत मे अहम रोल निभाने वाले पार्टी के प्रभारी ओम माथुर और सह प्रभारी नितिन नवीन रायपुर में मौजूद रहे।
सीएम की रेस में शामिल रहे इतने नेता
सवाल ये था कि इस बार बीजेपी आदिवासी को सीएम बनाएगी या फिर गैर आदिवासी को या फिर किसी महिला को मौका देगी। बीजेपी ने इस बार किसी भी राज्य में सीएम का चेहरा प्रोजेक्ट नहीं किया था। उधर रमन सिंह थे जो शिवराज की तरह अलग किस्म का दबाव बनाते हुए लोकसभा चुनाव में जीत जरूरी है ये याद दिला रहे थे। छत्तीसगढ में भी कई दावेदार थे जिनमें खुद रमन सिंह के अलावा अरुण साव, विष्णुदेव साय, ओपी चौधरी और रेणुका सिंह के नाम शामिल था। पार्टी अन्य पिछड़ा वर्गी यानि ओबीसी और आदिवासी मुख्यमंत्री के फॉर्मूले पर विचार कर रही थी। आदिवासी सीएम के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णुदेव साय और रेणुका सिंह का नाम आगे चल रहा था तो वहीं ओबीसी समुदाय से बात करें तो पूर्व नौकरशाह ओपी चौधरी और अरुण साव में से किसी एक नाम पर सहमति बन सकती थी। लेकिन अब यह रेस थम गई है और विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री घोषित कर दिया गया है।
आपको बता दें कि छत्तीसगढ में सारे कयासों को पलटते हुए बीजेपी ने शानदार जीत हासिल करने हुए 54 सीटें हासिल की थी जबकि कांग्रेस 34 सीटें ही जीत सकती थी। ऐसे में अब देखना ये है कि इस राज्य से लोकसभा में भी अच्छे नतीजे मिले इसका जिम्मा बीजेपी किसको सौपती हैं।