नक्सल प्रभावित ओड़ आमामोरा में सड़क मार्ग से पहुंचा मतदान दल, मूलभूत सुविधाओं का अभाव



सड़क निर्माण कार्य शुरु गांव का होगा विकास 

गरियाबंद ।  2000 मीटर ऊंचे पहाड़ी पर बसे विशेष पिछड़ी जनजाति कमार आदिवासी बाहुल्य ग्राम पंचायत ओंढ एंव आमामोरा में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। ग्राम पंचायत ओढ एंव आमामोरा दो अलग अलग ग्राम पंचायत हंै। जहां नक्सल प्रभावित क्षेत्र और सड़क के अभाव में पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मतदान दलों को हेलीकाप्टर से पहुंचाया जाता था। अब इस क्षेत्र में पुलिसबल तैनात होने और सड़क बनने से मतदान दल को सड़क मार्ग से पहुंचाया गया था। ओढ़ और आमामोरा के ग्रामीणों ने 70 प्रतिशत मतदान किया। 


 

इस पहाड़ी क्षेत्र को प्रदेश का कश्मीर कहा जाता है। ठंड के दिनों में सुबह घरों के खपरैल और पेड़ पौधों पर बर्फ जम जाती है  मैनपुर-गरियाबंद नेशनल हाईवे 130 सी पर  मैनपुर से 9 किलोमीटर दूर  छिन्दौला से आमामोरा 28 किलोमीटर दूर है। पहले रास्ते के अभाव में नदी नाले और उबड़ खाबड़ रास्ते से होकर गुजरना पड़ता था। अब सडक निर्माण कार्य शुरू हो गया है। जिला प्रशासन गरियाबंद की विशेष पहल से सड़क निर्माण कार्य किया जा रहा है। सी.सी सड़क तो कहीं डामरीकृत  सड़क का निर्माण किया जा रहा है। 



ग्राम पंचायत ओंढ के तीन आश्रित ग्राम हथौड़ाडीह, अमलोर, नगरार हैं।  ग्राम पंचायत ओंढ़ की जनसंख्या 770 है।  इस पंचायत क्षेत्र में कमार, भुंजिया जनजाति  लोग रहते हैं। पंचायत के आश्रित ग्राम अमलोर, हथौडाडीह, और नगरार पहुंचना  बड़ी चुनौती है।  सड़क बेहद ही खराब है पंगडडी से होकर पहुंचा जाता है। ग्राम ओंढ में वन विभाग का एक रेस्ट हाऊस का निर्माण किया गया है।  ग्राम ओढ से 8 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत आमामोरा है।  जिसकी जनसंख्या 1000 है।  यहां भी कमार भुजिया जनजाति, रावत एंव अन्य जनजाति के लोग रहते हैं। ग्राम पंचायत आमामोरा के दो आश्रित ग्राम जो ओडिशा से लगा हुआ है। जोंकपारा और कुकरार  है। ग्राम पंचायत ओंढ, आमामोरा व आश्रित ग्रामों में शासन ने हैंडपंप लगाया है। 



 दो जगह वन विभाग ने  सोलर पंप लगाए हैं। लेकिन अधिकांश हैंडपंप से आयरन युक्त लाल पानी निकलने के कारण ग्रामीण नदी नाले झरिया और कुंआ का पानी पीते हैं।  अभी जल जीवन मिशन के तहत यहां पेयजल उपलब्ध कराने के लिए पीएचई विभाग द्वारा प्रयास किया जा रहा है। आमामोरा और ओढ में स्वास्थ्य सुविधा बेहद खराब है। यहां घटना दुर्घटना या गंभीर स्थिति में गर्भवती महिलाओं को कांवर और खाट में ले जाया जाता है। लोग पैदल अस्पताल पहुंचते हैं। स्वास्थ्य विभाग शिविर लगाकर स्वास्थ्य की जाच कर दवा देती है।  लोगों ने  उपस्वास्थ्य केन्द्र खोलने की मांग की है। यहां वर्तमान में स्वास्थ्य कार्यकर्ता पदस्थ है। 

सौर ऊर्जा प्लेट प्लेट खराब

ग्राम पंचायत ओंढ़ आमामोरा के ग्रामीणों ने बताया आज तक बिजली नहीं पहुंच पाई है।  सोलर पेनल लगाए गए हैं। आए दिन बैटरी, सौर प्लेट में खराबी के चलते लाभ नहीं मिल पाता।  रातभर  ग्रामीणों को अलाव जलाकर रात के अंधेरें से संघर्ष करना पड़ता है।

मप्र के सीएम दिग्विजय सिंह 28 वर्ष पहले पहुंचे थे ओंढ़ आमामोरा

अविभाजित मध्यप्रदेश के दौरान मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जनवरी सन् 1994 में कड़ाके की ठंड के बीच ग्राम ओंढ और आमामोरा पहुंचे थे, और बकायदा मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने ग्राम ओंढ आमामोरा में रात बिताई थी। 



यहां के विशेष पिछड़ी कमार , भुंजिया जनजातियों के जीवन शैली को बहुत नजदीक से देखा था रात में अलाव जलाकर ग्रामीणों की समस्या को सुनी थी। ग्राम ओढ से आमामोरा पैदल चलकर दिग्विजय सिंह पहुंचे थे। वर्ष 2008- 09 में जब आंध्रप्रदेश में उल्टी दस्त से एक दर्जन ग्रामीणों की मौत हो गई थी।  उस दौरान प्रदेश के पहले मुुख्यमंत्री स्व: अजीत जोगी नदी नालों को पार कर बारिश के दिनो में आमामोरा पहुंचे थे। 

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