आज शाम 5 बजे के बाद थम जाएगा चुनाव प्रचार का शोरगुल,मतदान केन्द्रों के लिए दलों की रवानगी कल




बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में 17 नवंबर  को दूसरे और अंतिम चरण के  मतदान की सभी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। चुनाव प्रचार के लिए प्रत्याशियों के पास दो दिन ही बाकी रह गए हैं। 15 नवंबर की शाम 5 बजे के बाद चुनाव प्रचार का शोरगुल समाप्त हो जाएगा। 3 दिसंबर को मतगणना के रूझान तक दावे -प्रतिदावे होते रहेंगे। मतदान केन्द्रों के लिए मतदान दल कल रवाना होंगे।

सभी पार्टियों ने अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। अब आम जनता के निर्णय की बारी है।  17 नवंबर को पडऩे वाले वोट प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे। मुख्य मुकाबले की दोनों पार्टियां कांग्रेस और भाजपा सरकार बनाने का दावा कर रही हैं। कांग्रेस को अपनी सरकार के कार्यों पर दोबारा सरकार बनाने का जनादेश मिलने का विश्वास है तो प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा को विश्वास है कि राज्य में 15 वर्षों के उसके और केन्द्र  सरकार के कार्यों पर जनता मुहर लगाएगी।


 इसका फैसला 3 दिसंबर को होगा जब वोटों की गिनती  होगी। इस बीच दोनों ही पार्टियों में चुनाव घोषणा पत्र से लेकर राष्ट्रीय नेताओं की होड़ सी लगी रही ?। कांग्रेस ने कर्ज माफी की घोषणा की तो भाजपा ने उसके कार्यकाल के दौरान दो साल का बकाया बोनस देने और 3100 रुपए क्विंटल की दर से धान खरीदने का ऐलान कर दिया। कांग्रेस भी पीछे क्यों रहती, उसने 3200 रुपए धान का मूल्य घोषित कर दिया। 


भाजपा ने बड़ा दांव चलते हुए विवाहित महिला को प्रतिवर्ष 12000 रूपए महतारी वंदन योजना के तहत देने की घोषणा की। कांग्रेस को बाजी खासकर महिलाओं के मामले में उसकी तरफ झुकती हुई लगी तो चुनाव घोषणा पत्र से अलग मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने महिलाओं के लिए छत्तीसगढ़ गृह लक्ष्मी योजना के तहत 15000 रूपए प्रतिवर्ष देने की घोषणा दीपावली के दिन की। चुनाव घोषणा पत्र ही नहीं अलग से भी वादे पर वादे किए जा रहे हैं।  


मकसद सिर्फ एक ही है कि सरकार गठन का जनादेश मिलना चाहिए। छत्तीसगढ़ में ऊपरी तौर पर जो स्थितियां दिखाई दे रही हैं, उसमें किसी नतीजे पर पहुंचना आसान नहीं रह गया है। इसकी वजह भी है। कांग्रेस सरकार ने पिछले पांच साल में कई नई योजनाएं चलाकर कृषि तथा इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को लाभान्वित किया है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था की बेहतर होने से लोगों को आय बढ़ी  है।


 कुछ बुनियादी विकास के मुद्दे जरूर हैं, लेकिन ऐसा भी  नजर नहीं आया कि लोग सरकार बदलने की सोच सकते हैं, जैसा पिछले चुनाव में मतदान से पहले ही नजर आने लगा था। भाजपा में प्रधानमंत्री मोदी का अपना आकर्षण है।  उनकी काफी सभाएं राज्य के उत्तर से लेकर दक्षिण तक हुई हैं ?। भाजपा जिन मुद्दों लेकर चलती रही हैं , उनसे प्रभावित लोगों का मन पार्टी के प्रति बदलने का भी कोई कारण दिखाई नहीं दे रहा है। ऐसी स्थिति में मतदाता खामोशी के साथ सबकी बातें सुन रहा है और अपना निर्णय वोटिंग मशीन के सामने खड़े होकर ही लेगा। पहले से कोई निर्णय लेना खासकर उन वोटरों के लिए ,जिनके लिए दलीय प्रतिबद्धता कोई मायने नहीं रखती और  जो निर्णायक भूमिका में होते हैं। उनकी दुविधा पार्टियों का चुनाव प्रचार खत्म नहीं कर पाया है। दुविधा यह भी कि उनके लिए कौन क्या कर सकता है ? 


पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन खराब

पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा का प्रदर्शन बहुत ही खराब था। लगातार 15 साल पूर्ण बहुमत की सरकार चलाने वाली पार्टी 15 सीटों पर सिमट गई थी। इस बार भी चुनाव की घोषणा से पहले तक पार्टी में गहरी निराशा देखी जा रही थी। प्रत्याशियों की पहली सूची ने पार्टी कार्यकर्ताओं को उत्साह से भर दिया। प्रत्याशियों की सूची में ऐसे - ऐसे नाम थे , जिन्हें लेकर कहा जाने लगा कि इनसे अच्छे नाम नहीं हो सकते थे। 


पार्टी  के लोगों को भी लगा केन्द्रीय नेतृत्व छत्तीसगढ़ का चुनाव जीतना चाहता है। इससे पार्टी में चुनाव का माहौल ही बदल गया और अब तो पार्टी के लोग राज्य में अपनी सरकार बनती हुई देखने लगे हैं। यह बात दीगर है कि ऐसा पार्टी कर भी पाती है या नहीं। लेकिन चुनाव में सरकार बनती हुई देखने का उत्साह ही होना किसी पार्टी के लिए बड़ी बात कही जा सकती है।

दोनों के बीच कड़े मुकाबले की स्थिति 

कांग्रेस राज्य में दोबारा सरकार बनने के आत्मविश्वास से लबरेज है। चुनाव सर्वेक्षणों की रिपोर्ट्स भी कांग्रेस की सरकार दोबारा बनती हुई दिखा रही थीं। चुनाव का माहौल बनता - बिगड़ता रहता है। महीने -दो महीने पहले भाजपा मुकाबले में कहीं दिखाई नहीं दे रही थी। 


अब  कहा जा रहा है कि दोनों के बीच कड़े मुकाबले की स्थिति है। चूंकि राज्य में कांग्रेस की सरकार है इसलिए कहा जा सकता है कि उसका पलड़ा भारी है। पहलू चरण में 7 नवंबर को 20 विधानसभा सीटों के लिए मतदान हो चुका है । बाकी बची 70 सीटों में सरगुजा संभाग की 14 सीटों को छोड़ दिया जाए तो सभी सीटें  मैदानी इलाकों की हैं , जहां किसी पक्ष को कमजोर मानकर चलने की ग़लती कोई नहीं करना चाहेगा।

मतगणना की तारीख 3 दिसंबर 

छत्तीसगढ़ के साथ ही चार अन्य राज्यों में भी चुनाव हो रहे हैं इसलिए आयोग ने मतगणना की तारीख 3 दिसंबर रखी गई है। छत्तीसगढ़ में चुनाव नतीजों का 15 दिनों तक इंतजार करना पड़ेगा। प्रत्याशियों और  उनके समर्थकों के लिए इंतजार के ये दिन-रात मुश्किल से कटेंगे। पिछली बार विधानसभा का गठन 18 दिसंबर को हुआ था।


 इस लिहाज से नतीजे आने के बाद नई सरकार के गठन के लिए काफी समय होगा। राजनीतिक रुप से अधिक उठापटक की स्थिति यहां बनती नहीं है। ऐसी संभावना है कि नई सरकार दिसंबर के पहले पखवाड़े में ही काम संभाल लेगी।

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