12 किलोमीटर की ऊंंचाई पर उड़ता है ये विदेशी परिंदा, हिमालय पार कर बड़ी तादाद में पाटन पहुंंचे बार हेडेड गूूज



पाटन । छत्तीसगढ़ दुर्ग जिले के पाटन में प्रवासी पक्षी बार हेडेड गूज भी आया है। यहां भारी संख्या में देखा गया है। यह हिमालय पार से उड़कर, हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर आते हैं। यह दुनिया में सर्वाधिक ऊंचाई पर उडऩे वाले पक्षियों में से एक है। करीब 35 हजार फ ीट ऊंचाई तक उड़ान भरता है। इस साल बड़ी संख्या में पाटन में हेडेड पहुंचे हैं। बार हेडेड गूज का वैज्ञानिक नाम एन्सर इंडीकस है। इसे हाइएस्ट फ्लाइंग बर्ड भी कहा जाता है। स्थानीय भाषा में इसे भाटिया कहा जाता है। पाटन के सुरक्षित वातावरण और वेटलैंड में भोजन की प्रचूरता प्रवासी पक्षियों को खूब भाता है।  

लिहाजा ठंड शुरू होते ही इन प्रवासी पक्षियों का यहां पहुंचना शुरु हो गया है। बर्ड वाचर और वाइल्ड लाइफ  फ ोटोग्राफ र राजू वर्मा ने बताया कि हिमालय पार से बार हेडेड गूस के साथ नार्दन पेंटेल, गढ़वाल, गारगने, कामन रिल, सुर्खाब, टफ्टेड डक, सायबेरियन स्टोन चेट सहित अन्य प्रजाति की प्रवासी पक्षियों का झुंड यहां पहुंच चुका है। बता दें कि पैसिफि क गोल्डन प्लोअर, लेडर सैंड प्लोअर, बुड सैंड पाइपर,रेड क्रेस्टेड पोचार्ड बालक टॉल्र्ड गोडविट रफ करीब 35 प्रजातियों के प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा यहां होता है। पाटन क्षेत्र की जैवविविधता और यहां मिलने वाली खाने की प्रचुर मात्रा इन प्रवासी परिंदों को खींच लाती है। पक्षियों के संरक्षण के लिए पाटन में चार बांधो को संरक्षित भी किया गया है। ये भी एक कारण है कि लगातार प्रवासी पक्षियों की संख्या यहां बढ़ी है।



मार्च तक लौट जाते हैं पक्षी 

जब इनके गृह क्षेत्र में ठंड बढ़ती है और बर्फ बारी शुरू होती है, उस समय ये दक्षिणी एशिया की तरफ  प्रवास आरंभ करते है। अपने इस प्रवास से पहले ये काफ ी अधिक भोजन करके अपने शरीर में काफ ी वसा जमा कर लेते हैं। जो बाद में इनके सफ लता पूर्वक प्रवास में सहायता करता है। लगभग दो माह के समय में ये करीब 8 हजार किलोमीटर दूरी तय करके दक्षिणी भारत तक पहुंचते है। भारत में ये नवंबर-दिसंबर से फ रवरी-मार्च तक रहते हैं, इसके बाद वापस अपने स्थान पर लौट जाते हैं। 

यह है खासियत 

सफेद रंग का सुंदर पक्षी बार हेडेड गूज को सर पट्टी सवन या भाटिया के नाम से भी जाना जाता है। सिर पर काले रंग की धारियां होती है। इसलिए इसे बार हेडेड गूज कहा जाता है। यह हिमालय पार, लद्दाख और तिब्बत से शीतकाल बिताने के लिए आते हैं। इसके खून के हीमोग्लोबिन में विशेष एमीनो एसिड होने के कारण काफ ी ठंडे स्थानों पर रहने के लिए भी इनका शरीर उपयुक्त होता है। शांत स्वभाव का यह पक्षी आहट पर ही स्थान छोड़ देता है। इसकी आवाज भोंपू जैसी होती है। शीत इलाकों में बर्फ बारी के कारण परंपरागत स्थल से कूच करता है। इसकी गर्दन और चाल आकर्षक है। यह समूह में उड़ान भरते हैं।


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