कांग्रेस और बीजेपी में 'भारत' नाम पर बहस जारी



- राष्ट्रपति ने जी-20 शिखर सम्मेलन के रात्रिभोज में मुख्यमंत्री समेत कई राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित किया 


मुंबई। जैसे-जैसे संसद के विशेष सत्र की तारीख नजदीक आ रही है, राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। सरकार द्वारा अचानक बुलाए गए विशेष सत्र में क्या होगा, इसका किसी को अंदाज़ा नहीं है। 


पहले एक देश, एक चुनाव, फिर महिला आरक्षण और अब विपक्षी दल अलग ही दावा कर रहा है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट कर यह दावा किया। तो वहीं जी20 सम्मेलन की पृष्ठभूमि में राष्ट्रपति के लंच में पर्चे को लेकर विवाद हो गया है।


राष्ट्रपति ने जी-20 शिखर सम्मेलन के रात्रिभोज में मुख्यमंत्री समेत कई राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित किया है। राष्ट्रपति भवन में 9 सितंबर को होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन के रात्रिभोज के लिए निमंत्रण पत्र भेजा गया है। इसमें इंडिया के राष्ट्रपति की जगह भारत के राष्ट्रपति का जिक्र है। इसके बाद से विपक्ष आक्रामक हो गया है और मोदी सरकार के नेता और मंत्री उसका समर्थन कर रहे हैं।


 यदि संविधान के अनुच्छेद 1 को पढ़ा जाए तो भारत, भारत होते हुए भी राज्यों का एक संघ होगा। कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि अब यह संघीय सरकार खतरे में है। तो वहीं कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी मोदी सरकार को इसकी जानकारी दे दी है।

संसद का विशेष सत्र जल्द

केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। उस अमृत कला से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई है। लेकिन कोई निश्चित एजेंडा सामने नहीं आया. इसलिए तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं। विशेष सत्र में एक देश एक चुनाव, महिला आरक्षण बिल और इंडिया की जगह इंडिया जैसे बिल या प्रस्ताव पेश किये जाने की उम्मीद है।

क्या भारत अपना नाम बदलेगा?

अगर इंडिया और भारत नाम की चर्चा चल रही है तो संविधान में जिस स्थान पर इंडिया शब्द का प्रयोग किया गया है उसे इंडिया कहा जाएगा, इसको लेकर पिछले कुछ दिनों से चर्चा चल रही है। सबसे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि बहुत पहले हमारे देश को भारत कहा जाता था। इसलिए इसे इंडिया नहीं कहा जाना चाहिए।

 इसके अलावा राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने कहा कि इंडिया शब्द गुलामी का प्रतीक है। अत: संविधान में इंडिया शब्द का उल्लेख होना चाहिए। यह मुद्दा संसद के मानसून सत्र में भी कुछ सांसदों ने उठाया था। इसलिए यह देखना जरूरी है कि विशेष सत्र में इस संबंध में कोई प्रस्ताव या विधेयक तो नहीं लाया जा रहा है।

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