मुंबई। डीमार्ट सस्ते सामान के लिए लगभग पूरे भारत में मशहूर है। चाहे नवनिर्मित शहर हों या स्थापित मेट्रो शहर, डीमार्ट हर जगह देखा जाता है। आज ज्यादातर लोग अपना मासिक किराना या अन्य सामान डीमार्ट से खरीदते नजर आते हैं।
स्थिति यह है कि यदि किसी ऐसे क्षेत्र में डीमार्ट स्थापित किया जा रहा है और वहां कोई महत्वपूर्ण बस्ती नहीं है, तो जमीन की दरें बढ़ जाती हैं। क्योंकि बहुत से लोगों को लगता है कि डीमार्ट कुछ सोच रहा है और इस जगह पर निवेश कर रहा है। इसलिए कई लोगों का मानना है कि भविष्य में यहां के रेट बढ़ेंगे।
डीमार्ट पर इस आत्मविश्वास और प्रगति के पीछे राधाकिशन दमानी हैं। ये वही लोग हैं जो दिवंगत दिग्गज निवेशक और बिग बुल राकेश झुनझुनवाला को अपना गुरु मानते थे। राधाकिशन दमानी की गिनती देश के सबसे अमीर लोगों में होती है। उनकी संपत्ति एक लाख करोड़ से भी ज्यादा है। राधाकिशन दमानी सिर्फ 12वीं पास हैं। लेकिन अपनी कुशलता और तेज बुद्धि के कारण आज उनकी संपत्ति करोड़ों में है।
शेयर बाजार में नाम कमाने वाले दमानी ने अपना खुद का बिजनेस शुरू करने का फैसला किया। इसलिए उन्हें पहले तो असफलता का सामना करना पड़ा। उन्होंने पहली बार 1999 में नेरुल की फ्रेंचाइजी ली जो असफल रही। इसके बाद उन्होंने बोरवेल बनाना शुरू किया, लेकिन इस काम में भी उन्हें सफलता नहीं मिली।
फिर 2002 में उन्होंने मुंबई में डीमार्ट का पहला स्टोर खोला। लेकिन उन्होंने तय किया कि वह किसी किराए के परिसर में डीमार्ट शुरू नहीं करेंगे। आज देश में डीमार्ट के 300 से ज्यादा स्टोर हैं। तो राधाकिशन दमानी न केवल डीमार्ट स्टोर्स के मालिक हैं, बल्कि भारत में 300 बड़े भूखंडों के भी मालिक हैं। उनके स्टोर 11 राज्यों में फैले हुए हैं।
अब आप सोच रहे होंगे कि डीमार्ट में सामान सस्ता कैसे होता है। इसका महत्व तो आप ऊपर जान ही गये होंगे। राधाकिशन दमानी किराए की जगह पर दुकान नहीं खोलते जिससे उन्हें काफी मदद मिलती है। उनके पास अपनी ज़मीनें हैं और उन्हें नियमित अंतराल पर किराया नहीं देना पड़ता है। वे इस बची हुई लागत का उपयोग सामान को सस्ता रखने के लिए करते हैं।
इसी तरह डीमार्ट 5-7 फीसदी की बचत कर लोगों को डिस्काउंट के तौर पर देता है। दूसरा कारण यह है कि डीमार्ट स्टॉक जल्दी क्लियर कर देता है। उनका लक्ष्य 30 दिनों के भीतर स्टॉक खत्म करने और नया स्टॉक ऑर्डर करने का है। इसके अलावा, डीमार्ट कंपनियों को बहुत तेजी से भुगतान करता है। इसके चलते निर्माता कंपनियां भी डीमार्ट को डिस्काउंट पर सामान सप्लाई करती हैं। इस छूट का उपयोग लोगों को छूट देने या अपना राजस्व बढ़ाने के लिए भी किया जाता है।