-राजद्रोह कानून खत्म, आईपीसी में बड़े बदलाव के तीन बिल पेश
नई दिल्ली। लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के बाद आज केन्द्री गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए है जिसमें भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में सुधार को लेकर लोकसभा के पलट पर रखा।
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में कहा कि जिन कानूनों को निरस्त किया जाएगा वे कानून ब्रिटिश काल से हमारे देश में लागू है। सरकार का लक्ष्य सभी को न्याय देना है। अपराधियों को सजा देना है। ब्रिटिश प्रशासन के जो कानून लागू है उनसे केवल दंड दिया जा सकता था और केवल ब्रिटिश सरकार को ही मजबूती प्रदान करता था। अब सरकार ने तीन नए कानून लाए है जिससे भारतीय नागरिकों के अधिकार की रक्षा होगी।
गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में कहा कि भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 को आगे की जांच के लिए संसदीय पैनल के पास भेजा जाएगा। नए कानून में हमारा लक्ष्य सजा देना नहीं है, बल्कि न्याय दिलाना होगा।
15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से देश के सामने 5 प्रण रखे थे। उनमें से एक प्रण था कि हम गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त कर देंगे। आज मैं जो 3 विधेयक लेकर आया हूं, वो तीनों विधेयक मोदी जी द्वारा लिए गए प्रण में से एक प्रण को पूरा कर रहे हैं।
बिल में नया क्या है...
- नए कानूनों के माध्यम से कुल 313 परिवर्तन किए गए हैं।
-आपराधिक न्याय प्रणाली में पूर्ण बदलाव किया गया है।
-जिस धारा में होती है 7 साल से ज्यादा की सजा है, वहां पर फॉरेंसिक टीम सबूत जुटाएगी।
- नए बिल में राजद्रोह की सजा बदली गई है। प्रस्तावित धारा 150 में राजद्रोह को लेकर प्रावधान है।
-राजद्रोह के लिए आजीवन कारावास या तीन साल तक की कैद की सजा हो सकती है।
-नया प्रावधान 3 साल की कैद को 7 साल की कैद में बदल देता है।
- 2027 से पहले देश की सभी कोर्ट को कंप्यूटराइज किया जाएगा।
-गिरफ्तार होने वाले शख्स के परिवार को तुरंत मिलेगी जानकारी।
-इस नियम के लिए पुलिस अधिकारी नियुक्त किया जाएगा।
- 3 साल तक की सजा वाली धाराओं का समरी ट्रायल होगा।
-इससे मामले की सुनवाई और फैसला जल्द आ जाएगा।
-चार्ज फ्रेम होने के 30 दिन के भीतर न्यायाधीश को अपना फैसला देना होगा।
- सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अगर कोई मामला दर्ज है तो 120 दोनों के अंदर केस चलाने की अनुमति देनी जरूरी है।
- संगठित अपराध में कठोर सजा का प्रावधान किया गया है। मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदला जा सकता है, लेकिन पूरी तरह बरी करना आसान नहीं होगा।
- राजद्रोह को पूरी तरह से खत्म किया जा रहा है। दोषियों की संपत्ति कुर्क करने का आदेश कोर्ट देगा, ना कि पुलिस अधिकारी।
- सबको 3 साल के अंदर न्याय मिलेगा।
प्रस्तावित नई आईपीसी की धाराएं...
-145: भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध छेडऩा/युद्ध छेडऩे का प्रयास करना या युद्ध छेडऩे के लिए उकसाना। यह वर्तमान धारा 121 के समान है।
-146: युद्ध छेडऩे की साजिश। यह वर्तमान धारा 121ए के समान है।
-147: भारत सरकार के विरुद्ध युद्ध छेडऩे के इरादे से हथियार आदि एकत्र करना। यह वर्तमान में धारा 122 के समान है.
राजद्रोह का कानून खत्म होगा। इसकी जगह अब धारा 150 के तहत आरोप तय किए जाएंगे। धारा 150 कहती है- भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य।