सीधे सूर्य तक उड़ान भरेगा इसरो का अंतरिक्ष यान; इस दिन शुरू होगा 'मिशन सूर्य, देखें डिटेल्स...


-चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो आदित्य एल-1 को सूर्य की ओर भेजेगा

नई दिल्ली। भारत ने आज इतिहास में अपना नाम दर्ज कर लिया है। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अंतरिक्ष यान भेजने वाला पहला देश बन गया है। चंद्रयान-3 मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए एक जटिल मिशन था। दो दिन पहले रूसी विमान दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद भारत के सामने विमान को सुरक्षित लैंड कराने की बड़ी चुनौती थी। लेकिन, इसरो वैज्ञानिकों की मेहनत रंग लाई और विक्रम लैंडर चंद्रमा पर सुरक्षित उतर गया। इस मिशन के बाद इसरो एक और बड़े चुनौतीपूर्ण मिशन को अंजाम देने जा रहा है।

इसरो अगस्त के अंत या सितंबर की शुरुआत में आदित्य एल-1 मिशन लॉन्च करने वाला है। यह इसरो का अब तक का सबसे कठिन मिशन होने वाला है। इसरो का एल-1 मिशन सूर्य तक सीधा रुख अपनाएगा। इस मिशन के जरिए भारत पहली बार सौर मंडल में 'अंतरिक्ष वेधशाला' तैनात करेगा। आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान सूर्य की निगरानी करेगा। इस दौरान यह अंतरिक्ष यान इसरो को सूर्य पर होने वाली विभिन्न घटनाओं की जानकारी देगा।

अंतरिक्ष यान को लैग्रेंज बिंदु पर भेजा जाएगा

भारत ने आज तक लैग्रेंज बिंदु पर कोई अंतरिक्ष यान नहीं भेजा है। लैग्रेंज बिंदु अंतरिक्ष में दो या दो से अधिक विशाल वस्तुओं (जैसे सूर्य और पृथ्वी के बीच का शून्य) के बीच का एक बिंदु है। यदि कोई अंतरिक्ष यान यहां भेजा जाता है, तो वह दो विशाल वस्तुओं के गुरुत्वाकर्षण के कारण अपनी जगह पर रुका रहेगा। आदित्य अंतरिक्ष यान पृथ्वी से 15 लाख किमी दूर लॉन्च किया जाएगा। इस अवस्था में अंतरिक्ष यान को स्थिर रखना बहुत कठिन कार्य है।

इन उपकरणों की मदद से सूर्य का अध्ययन किया जाएगा

पृथ्वी और सूर्य के बीच पांच लैग्रेंज बिंदु हैं, जिन पर आदित्य को लैग्रेंज-1 भेजा जाएगा। आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान दो प्रमुख उपकरण, एसयूआईटी और वीईएलसी ले जाएगा। इन्हें भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाया है। स्पेक्ट्रोपोलारिमेट्रिक माप वीईएलसी द्वारा किया जाएगा। आसान शब्दों में कहें तो इस डिवाइस के जरिए सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन किया जाएगा। सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन करने का यह पहला मौका होगा।

सूर्य का अध्ययन क्यों आवश्यक है?

आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान एक अंतरिक्ष दूरबीन की तरह होगा। इस मिशन के दो मुख्य कार्य हैं। पहला है सूर्य का वैज्ञानिक ढंग से लंबे समय तक अध्ययन करना और दूसरा है अपने उपग्रहों को बचाना। सूर्य से निकलने वाले विकिरण और सौर तूफानों का खतरा रहता है। इससे पृथ्वी की निचली कक्षा में उपग्रहों को नुकसान होता है। इतना ही नहीं, सौर तूफान विद्युत ग्रिड में व्यवधान उत्पन्न करते हैं।


सूर्य से आने वाले सौर तूफान खतरा पैदा करते हैं, लेकिन कोरोनल मास इजेक्शन और सौर ज्वालाएं भी पृथ्वी के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं। ये रेडियो संचार को बाधित कर सकते हैं। इससे अंतरिक्ष में अंतरिक्ष यात्रियों को भी नुकसान हो सकता है। आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान को सूरज की रोशनी में इन घटनाओं की निगरानी करने का काम सौंपा गया है। यह एक तरह से चेतावनी प्रणाली की तरह काम करेगा।

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