नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज लोकसभा के मानसून सत्र में एक बिल पेश किया। विधेयक ने ब्रिटिश भारतीय आपराधिक संहिता में आमूल-चूल परिवर्तन की शुरुआत की। भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को भारतीय न्यायिक संहिता द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा। नए बिल से देशद्रोह की धारा हटा दी जाएगी। साथ ही ब्रिटिश काल में कानून में भी बदलाव हुए हैं।
कहा जा रहा है कि नए बिल से देशद्रोह की धारा हटा दी जाएगी। सरकार ने तीन नए बिल पेश किए हैं। यह बिल आज लोकसभा में पेश किया गया। अब इस बिल के सिर्फ प्रावधान ही बचे हैं। अहम हैं ये बदलाव इस बिल को लेकर पिछले कुछ दिनों से चर्चा चल रही है। भले ही राजद्रोह की धारा पारित हो गई हो, नई भारतीय दंड संहिता में धारा 150 भी महत्वपूर्ण है। इसमें कड़े प्रावधान किये गये हैं।
बच्चों के ख़िलाफ़ अपराधों के लिए सज़ा बढ़ा दी गई है। चुनाव में धन बांटने के अपराध में एक साल तक की सजा हो सकती है। बताया जा रहा है कि अपनी पहचान छिपाकर फर्जी पहचान का इस्तेमाल कर रिश्ते में देरी करने या शादी का झूठा वादा करने के खिलाफ एक धारा लाई जाएगी। अब यह बिल स्टैंडिंग कमेटी के पास चला गया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज लोकसभा में भारतीय दंड संहिता, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में संशोधन के लिए तीन विधेयक पेश किए। इस बिल को पेश करते हुए अमित शाह ने कहा, ये तीनों कानून अंग्रेजों ने बनाए हैं। हम उसे बदल रहे हैं। इसमें बदलाव कर नये कानून लाये जा रहे हैं। अमित शाह द्वारा घोषित तीन नए कानूनों में भारतीय न्यायिक संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 शामिल हैं।