'टू फिंगर टेस्ट' पर सुप्रीम कोर्ट ने कही ये कड़ी, क्या है ये टेस्ट और इससे जुड़े विवाद


  

मुंबई। सुप्रीम कोर्ट ने रेप के मामलों में 'टू फिंगर टेस्ट' पर रोक लगा दी है. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अदालत ने बलात्कार और यौन उत्पीड़न के मामलों में इस परीक्षण के इस्तेमाल की बार-बार निंदा की है। इस परीक्षण का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। यहां तक ​​कि विज्ञान भी ऐसे परीक्षणों को पूरी तरह से खारिज करता है।


कोर्ट ने कहा कि विज्ञान का मानना ​​था कि अगर उसकी योनि में हाइमन बरकरार था, तो उसका कौमार्य बरकरार था और अगर वह फट गया या नहीं रहा, तो उसने अपना कौमार्य खो दिया, जो सिर्फ एक भ्रम है।


'टू-फिंगर टेस्ट' क्या है और इसके विकल्प क्या हैं?


'टू फिंगर टेस्ट' द्वारा पीड़िता की योनि में दो उंगलियां डाली जाती हैं ताकि यह जांचा जा सके कि उसका कौमार्य आंतरिक झिल्ली है या नहीं। इस टेस्ट से पता चलता है कि महिला के साथ शारीरिक संबंध स्थापित हुए या नहीं। अगर अंगुलियां आसानी से प्राइवेट पार्ट में चली जाएं तो महिला को सेक्सुअली एक्टिव माना जाता है और अगर नहीं तो महिला को वर्जिन माना जाता है।

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