हमारी सरकार ने आदिवासियों की संस्कृति को सहेजने और संरक्षित करने का कार्य किया: भूपेश बघेल


  • मुख्यमंत्री निवास में आयोजित विश्व आदिवासी दिवस के कार्यक्रम में हुए शामिल मुख्यमंत्री
  • सामुदायिक वन अधिकार मान्यता पत्र, विशेष पिछड़ी जनजाति के युवाओं को नियुक्ति पत्र वितरित

रायपुर  हमारी सरकार ने आदिवासियों की संस्कृति को सहेजने और संरक्षित करने का कार्य किया है। छत्तीसगढ़ में सरकार बनने के साथ ही हमने आदिवासियों के सशक्तिकरण के लिए कार्य किए। आदिवासी हितों के लिए ऐसे कार्य किए गए जो राज्य बनने के बीस वर्षाें में नहीं हुए। हमारी सरकार ने पेसा कानून को पूरी तरह क्रियान्वित करने के लिए नियम बनाए और यह खुशी की बात है कि 08 अगस्त को इसका प्रकाशन छत्तीसढ़ राजपत्र में भी हो गया है।

 उक्त बातें मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कही। विभिन्न जिले इस कार्यक्रम से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े। मुख्यमंत्री ने सम्बोधित करते हुए सबसे पहले विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए मां दंतेश्वरी और बूढ़ा देव की पूजा अर्चना कर किया। 

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा प्रकाशित आदि विद्रोह एवं अन्य पुस्तिकाओं का विमोचन किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने अचानकमार टाईगर रिजर्व जिला मुंगेली के पांच गांवों महमाई, बाबूटोला, बम्हनी, कटामी, मंजूरहा, सीतानदी टाइगर रिजर्व धमतरी के ग्राम लिखमा, बिनयाडीह, मैनपुर, उदंती टाइगर रिजर्व जिला गरियाबंद के ग्राम कुल्हाड़ीघाट, कठवा को को सामुदायिक वन संसाधन अधिकार मान्यता पत्र प्रदान किया। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि पेसा कानून लागू होने से ग्राम सभा का अधिकार बढ़ेगा। ग्राम सभा के 50 प्रतिशत सदस्य आदिवासी समुदाय से होंगे। इस 50 प्रतिशत में से 25 प्रतिशत महिला सदस्य होंगी। गांवों के विकास में निर्णय लेने और आपसी विवादों के निपटारे का भी उन्हें अधिकार होगा। पेसा कानून पहले से था, इसके नियम नहीं बनने के कारण इसका लाभ आदिवासियों को नहीं मिल पा रहा था, लेकिन अब नियम बन जाने से वे अपने जल-जंगल-जमीन के बारे में खुद फैसला ले सकेंगे। 


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