रायपुर एनपीन्यूज। छत्तीसगढ़ मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के अंतर्गत लक्ष्य के विरूद्ध रोजगार देने में देश में पहले स्थान पर है। चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में भारत सरकार द्वारा स्वीकृत 15 करोड़ मानव दिवस रोजगार सृजन के लक्ष्य के विरूद्ध यहां अब तक 16 करोड़ छह लाख 84 हजार मानव दिवस रोजगार का सृजन किया जा चुका है। मनरेगा लागू होने के बाद से इस वर्ष प्रदेश में सबसे अधिक रोजगार उपलब्ध कराने का नया रिकॉर्ड स्थापित हुआ है। मनरेगा श्रमिकों को अब तक इस साल के लिए निर्धारित लक्ष्य के विरूद्ध 107 प्रतिशत से अधिक रोजगार मुहैया कराया जा चुका है, जबकि अभी वित्तीय वर्ष के पूरा होने में दो सप्ताह से अधिक का समय शेष है। प्रदेश भर में इस समय मनरेगा कार्य जोर-शोर से प्रगति पर हैं।
मनरेगा के क्रियान्वयन में 107 प्रतिशत से अधिक कार्य पूर्णता के साथ छत्तीसगढ़ देश में शीर्ष पर है। पश्चिम बंगाल 105 प्रतिशत, असम और बिहार 104-104 प्रतिशत तथा ओड़िशा 103 प्रतिशत कार्य पूर्णता के साथ क्रमशः दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर है। वर्ष 2006-07 में मनरेगा की शुरूआत के बाद से इस साल प्रदेश में सर्वाधिक मानव दिवस रोजगार दिया गया है। वर्ष 2015-16 से 2019-20 तक पिछले पांच वर्षों में क्रमशः दस करोड़ 14 लाख, आठ करोड़ 86 लाख, 11 करोड़ 99 लाख, 13 करोड़ 86 लाख और 13 करोड़ 62 लाख मानव दिवस रोजगार जरूरतमंदों को मुहैया कराया गया है। चालू वित्तीय वर्ष में अप्रैल-2020 से फरवरी-2021 तक 2617 करोड़ 88 लाख रूपए का मजदूरी भुगतान मनरेगा श्रमिकों को किया गया है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने रिकॉर्ड संख्या में मानव दिवस सृजित करने के लिए विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों तथा पंचायत प्रतिनिधियों को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के चलते लाक-डाउन के बावजूद मनरेगा के अंतर्गत तत्परता से शुरू हुए कार्यों से ग्रामीणों को बड़ी संख्या में सीधे रोजगार मिला। मनरेगा कार्यों ने विपरीत परिस्थितियों में भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गतिशील रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
प्रदेश में चालू वित्तीय वर्ष के लिए निर्धारित लक्ष्य के विरूद्ध रोजगार सृजन में बिलासपुर जिला सबसे आगे है। वहां लक्ष्य के विरूद्ध अब तक 131 प्रतिशत से अधिक मानव दिवस काम दिया गया है। गोरेला-पेंड्रा-मरवाही में 125 प्रतिशत, कांकेर में 119 प्रतिशत, सरगुजा में 118 प्रतिशत, जांजगीर-चांपा में 117 प्रतिशत, दुर्ग और जशपुर में 115-115 प्रतिशत, रायगढ़ में 110 प्रतिशत, बालोद में 109 प्रतिशत, दंतेवाड़ा और कोरिया में 108-108 प्रतिशत, बेमेतरा, कोंडागांव और रायपुर में 107-107 प्रतिशत, महासमुंद में 106 प्रतिशत, बलौदाबाजार-भाटापारा और कोरबा में 105-105 प्रतिशत, कबीरधाम, बीजापुर और मुंगेली में 104-104 प्रतिशत, गरियाबंद में 102 प्रतिशत, धमतरी और सुकमा में 101-101 प्रतिशत, बलरामपुर-रामानुजगंज में 100 प्रतिशत, राजनांदगांव और बस्तर में 98-98 प्रतिशत, सूरजपुर में 96 प्रतिशत तथा नारायणपुर जिले में 95 प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया गया है।
केंद्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के लिए 2020-21 के बजट में साढ़े 13 करोड़ मानव दिवस रोजगार की स्वीकृति दी गई थी। वित्तीय वर्ष की शुरूआत में ही ग्रामीणों को व्यापक स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने और कोरोना महामारी के चलते लागू देशव्यापी लॉक-डाउन के दौर में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए प्रदेश भर में बड़े पैमाने पर मनरेगा कार्य शुरू किए गए थे। इसके चलते प्रारंभिक तीन महीनों में ही इस लक्ष्य का 66 प्रतिशत काम पूरा कर लिया गया था। इसे देखते हुए राज्य शासन ने चालू वित्तीय वर्ष के लिए मनरेगा के तहत रोजगार सृजन का लक्ष्य साढ़े 13 करोड़ मानव दिवस से बढ़ाकर 15 करोड़ मानव दिवस करने का आग्रह किया था। मनरेगा में छत्तीसगढ़ के लगातार अच्छे कार्यों के आधार पर केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 15 करोड़ मानव दिवस रोजगार के संशोधित लक्ष्य की मंजूरी दी है।