नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 1984 सिख जनसंहार पर न्यायमूर्ति धींगड़ा आयोग की रिपोर्ट में कांग्रेस को दोषियों का बचाव करने वाली बताये जाने पर अफसोस जाहिर करते हुए आज कहा कि इससे साफ हो गया है कि कांग्रेस का हाथ कातिलों के साथ रहा है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि न्यायमूर्ति धींगड़ा आयोग की रिपोर्ट आयी है जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि 1984 के सिख जनसंहार के दोषियों पर कार्रवाई करने में कांग्रेस ने कोई रुचि नहीं दिखाई बल्कि दोषियों को बचाने का प्रयास किया। आयोग का निष्कर्ष निकाला कि 3000 से अधिक सिखों के सामूहिक हत्याकांड की सही जांच कभी हुई ही नहीं। जावड़ेकर ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है। न्यायमूर्ति धींगड़ा ने इसी दृष्टिकोण को उदाहरण के साथ रेखांकित किया है। सुल्तानपुरी की 500 घटनाओं की एक ही प्राथमिकी दर्ज की गयी और एक ही जाँच अधिकारी नियुक्त किया गया। इससे अदालत में भी यह मामला देरी से आया और देरी के कारण अदालत से खारिज हो गया। न्यायमूर्ति रंगनाथन आयोग में सैकड़ो की संख्या में हलफनामे दाखिल किये गये लेकिन उन पर 6 -7 साल बाद ही प्राथमिकी दर्ज की गयी। अदालत ने उसे लापरवाही माना और उसी आधार पर दोषियों को बरी कर दिया।
उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति धींगड़ा ने सरकार से सिफारिश की है कि सिख जनसंहार को लेकर फिर से प्राथमिकी दर्ज की जाये। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता सैम पित्रोदा ने सिख जनसंहार पर कहा था कि हुआ सो हुआ। इस बयान और कांग्रेस की कारगुजारियां देखें तो इस बात में शक की कोई गुंजाइश नहीं रह जाएगी कि कांग्रेस का हाथ कातिलों के साथ रहा है। आयोग की रिपोर्ट पर सरकार के कदम के बारे में पूछे जाने पर श्री जावड़ेकर ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि उन्होंने धींगड़ा आयोग की सिफारिशों पर मुहर लगा दी है और उस पर कार्रवाई भी होगी।
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि न्यायमूर्ति धींगड़ा आयोग की रिपोर्ट आयी है जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि 1984 के सिख जनसंहार के दोषियों पर कार्रवाई करने में कांग्रेस ने कोई रुचि नहीं दिखाई बल्कि दोषियों को बचाने का प्रयास किया। आयोग का निष्कर्ष निकाला कि 3000 से अधिक सिखों के सामूहिक हत्याकांड की सही जांच कभी हुई ही नहीं। जावड़ेकर ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है। न्यायमूर्ति धींगड़ा ने इसी दृष्टिकोण को उदाहरण के साथ रेखांकित किया है। सुल्तानपुरी की 500 घटनाओं की एक ही प्राथमिकी दर्ज की गयी और एक ही जाँच अधिकारी नियुक्त किया गया। इससे अदालत में भी यह मामला देरी से आया और देरी के कारण अदालत से खारिज हो गया। न्यायमूर्ति रंगनाथन आयोग में सैकड़ो की संख्या में हलफनामे दाखिल किये गये लेकिन उन पर 6 -7 साल बाद ही प्राथमिकी दर्ज की गयी। अदालत ने उसे लापरवाही माना और उसी आधार पर दोषियों को बरी कर दिया।
उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति धींगड़ा ने सरकार से सिफारिश की है कि सिख जनसंहार को लेकर फिर से प्राथमिकी दर्ज की जाये। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता सैम पित्रोदा ने सिख जनसंहार पर कहा था कि हुआ सो हुआ। इस बयान और कांग्रेस की कारगुजारियां देखें तो इस बात में शक की कोई गुंजाइश नहीं रह जाएगी कि कांग्रेस का हाथ कातिलों के साथ रहा है। आयोग की रिपोर्ट पर सरकार के कदम के बारे में पूछे जाने पर श्री जावड़ेकर ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि उन्होंने धींगड़ा आयोग की सिफारिशों पर मुहर लगा दी है और उस पर कार्रवाई भी होगी।
Tags
देश